India-Mexico Trade Dispute: मेक्सिको का एकतरफा टैरिफ फैसला, भारत ने जताई कड़ी आपत्ति...1463 प्रोडक्ट्स पर होगा असर
मेक्सिको द्वारा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट न रखने वाले देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले से भारत नाराज़ है. इस कदम से 1463 उत्पाद श्रेणियां प्रभावित होंगी और भारतीय निर्यातकों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. भारत ने बिना परामर्श लिए गए इस निर्णय को वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ बताया है.

नई दिल्ली : मेक्सिको सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए एक अहम व्यापारिक फैसले ने भारत और अन्य एशियाई देशों की चिंता बढ़ा दी है. मेक्सिको ने उन देशों से आयात होने वाले उत्पादों पर शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिनके साथ उसका कोई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) नहीं है. भारत भी इस सूची में शामिल है. नए नियमों के तहत कुछ उत्पादों पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जबकि अधिकांश वस्तुओं पर औसतन 35 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए जाने की आशंका है. इस कदम को भारत ने वैश्विक व्यापार की भावना के खिलाफ बताया है.
बिना परामर्श लिया गया फैसला बना विवाद की वजह
1463 उत्पाद श्रेणियां होंगी प्रभावित
मेक्सिको के इस टैरिफ बदलाव से कुल 1463 प्रोडक्ट कैटेगरी प्रभावित होंगी. इसमें भारत के साथ-साथ चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे कई एशियाई देश शामिल हैं. इन उत्पादों में औद्योगिक सामान, उपभोक्ता वस्तुएं और कुछ कृषि आधारित उत्पाद भी शामिल माने जा रहे हैं. इससे भारत के निर्यातकों की लागत बढ़ सकती है और मेक्सिको के बाजार में भारतीय उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं.
मेक्सिको की दलील: घरेलू उद्योग और व्यापार घाटा
मेक्सिको सरकार का कहना है कि टैरिफ बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना और बढ़ते व्यापार घाटे को कम करना है. मेक्सिको के अनुसार, सस्ते आयात के कारण स्थानीय कारोबार प्रभावित हो रहे थे, इसलिए टैरिफ नीति को सख्त किया गया है. हालांकि, भारत का मानना है कि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से संवाद और संतुलित नीति अपनाना ज्यादा बेहतर तरीका होता.
अमेरिकी दबाव और USMCA का असर
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस फैसले के पीछे अमेरिकी दबाव और USMCA (अमेरिका–मेक्सिको–कनाडा समझौता) से जुड़ी बातचीत भी एक वजह हो सकती है. माना जा रहा है कि मेक्सिको चीन से आने वाले सस्ते सामान पर रोक लगाने और अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को संतुलित करने के लिए अपनी टैरिफ नीति को कड़ा कर रहा है. ऐसे में इसका अप्रत्यक्ष असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ रहा है.
भारत की कूटनीतिक पहल और आगे की रणनीति
भारत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू कर दी है. वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने मेक्सिको के उप-आर्थिक मंत्री लुइस रोसेन्डो से इस विषय पर उच्चस्तरीय चर्चा की है. इसके अलावा तकनीकी स्तर की बैठकों के भी संकेत मिले हैं, जिनमें समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी. इससे पहले मेक्सिको स्थित भारतीय दूतावास ने भी इस फैसले पर औपचारिक रूप से चिंता जताई थी.
संवाद प्राथमिक, हितों की रक्षा जरूरी
भारत ने साफ किया है कि वह मेक्सिको के साथ मजबूत व्यापारिक और आर्थिक संबंध बनाए रखना चाहता है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि भारतीय निर्यातकों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. यदि जरूरत पड़ी तो भारत उचित कार्रवाई करने से भी पीछे नहीं हटेगा, हालांकि प्राथमिकता बातचीत और आपसी सहमति से समाधान निकालने की ही होगी. भारत का मानना है कि संतुलित और पारदर्शी व्यापार नीति ही दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है.


