भारत की नर्स पर यमन में फांसी का खतरा, क्या सुप्रीम कोर्ट रोक पाएगा सजा?
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में कथित हत्या के आरोप में फांसी हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से राजनयिक प्रयास करने का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिका में 'ब्लड मनी' के माध्यम से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और निमिषा को बचाने की अपील की जाएगी.

Nimisha Priya-Yemen Murder Case: केरल की नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन में कथित हत्या के आरोप में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं, उनकी जान बचाने के लिए भारत के सुप्रीम कोर्ट में आज, 14 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई होगी. इस याचिका में केंद्र सरकार के प्रयासों के माध्यम से निमिषा की सजा को रद्द करने या ब्लड मनी के जरिए समझौता करने की मांग की गई है. यह सुनवाई 16 जुलाई को उनकी निर्धारित फांसी से मात्र दो दिन पहले हो रही है. निमिषा प्रिया का मामला न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में है. उनके परिवार, समर्थकों और विभिन्न संगठनों ने भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. यमन के शरिया कानून के तहत ब्लड मनी के प्रावधान को निमिषा की जान बचाने का आखिरी रास्ता माना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट के याचिका में तर्क दिया गया है कि यमन में शरिया कानून के तहत यह प्रावधान मान्य है. ब्लड मनी दे कर सजा टाला जा सकता है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ कर सकती है. याचिका में कहा गया है कि ब्लड मनी के भुगतान से पीड़ित परिवार निमिषा को माफ करने के लिए राजी हो सकता है.
8.6 करोड़ रुपये की ब्लड मनी की पेशकश
याचिका को एडवोकेट सुभाष चंद्रन के आर ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है, “ब्लड मनी भुगतान से पीड़ित परिवार केरल की नर्स निमिषा प्रिया को माफ करने के लिए प्रभावित होगा.” निमिषा के परिवार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) की ब्लड मनी देने को कहा है, ताकि उनकी सजा को माफ किया जा सके. यह राशि शरिया कानून के तहत समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती है.
हत्या का आरोप और फांसी की सजा
यमन के कानून के अनुसार, विदेशी मेडिकल प्रैक्टिशनर को क्लिनिक खोलने के लिए स्थानीय नागरिक के साथ साझेदारी करनी पड़ती है. निमिषा ने तलाल अब्दो महदी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाया. याचिका के अनुसार, महदी ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और उनका शारीरिक व वित्तीय शोषण किया. 2017 में, निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास घातक साबित हुआ और महदी की मृत्यु हो गई. आरोप है कि निमिषा ने उनके शव को ठिकाने लगाने के लिए टुकड़े-टुकड़े कर दिए. 2020 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, जिसे 2023 में हूती प्रशासन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने बरकरार रखा.
फिलहाल निमिषा सना की जेल में बंद हैं, जो हूती प्रशासन के नियंत्रण में है. भारत और हूती प्रशासन के बीच औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी इस मामले को और जटिल बनाती है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने निमिषा के परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है, लेकिन हूती विद्रोहियों के साथ बातचीत की कमी के कारण राजनयिक प्रयासों में बाधाएं आ रही हैं.


