आवारा कुत्तों पर फैसले से सुर्खियों में आए जस्टिस विक्रम नाथ, दिया मजाकिया बयान
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम नाथ ने हाल ही में आवारा कुत्तों से जुड़े फैसले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि न सिर्फ कुत्ते प्रेमी बल्कि खुद कुत्ते भी उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं.

Justice Vikram Nath on stray dog case: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम नाथ ने हाल ही में आवारा कुत्तों से जुड़े उस फैसले का जिक्र करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि इस मामले ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई है. तीन जजों की जिस बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर पूर्व आदेश को पलटा था, उसकी अध्यक्षता उन्होंने ही की थी. उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि इस फैसले के बाद न सिर्फ कुत्ते प्रेमी बल्कि खुद कुत्ते भी उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं.
बीआर गवई का किया धन्यवाद
जस्टिस नाथ ने यह टिप्पणी शनिवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित मानव-वन्यजीव संघर्ष पर एक क्षेत्रीय सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से न्यायपालिका में अपने काम के लिए पहचाने जाते रहे हैं, लेकिन आवारा कुत्तों के इस मामले ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. उन्होंने इस विषय को सौंपने के लिए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का धन्यवाद करते हुए कहा कि अब विदेशों में भी लोग उनसे इसी विषय पर सवाल पूछते हैं और यह उनके लिए गर्व की बात है.
दरअसल, 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर अपने पूर्व आदेश में बदलाव किया था. अदालत ने माना कि पहले का निर्देश बहुत कठोर था. जस्टिस नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया भी शामिल थे. अदालत ने आदेश दिया कि सभी आवारा कुत्तों का अनिवार्य रूप से टीकाकरण और नसबंदी होनी चाहिए और इसके बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था.
आक्रामक या रेबीज़ से संक्रमित कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा वापस
हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आक्रामक या रेबीज़ से संक्रमित कुत्तों को वापस नहीं छोड़ा जाएगा. ऐसे मामलों में अलग से प्रावधान किए जाएंगे. इसके अलावा, अदालत ने देशभर के उच्च न्यायालयों में लंबित समान मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया, ताकि इस विषय पर एक व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाई जा सके.
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि बिना पर्याप्त बुनियादी ढांचे के सभी कुत्तों को आश्रयों में रखना व्यावहारिक नहीं है और यह स्थिति उलझन पैदा कर सकती है. इसलिए, अदालत ने माना कि पहले दिया गया आदेश, जिसमें टीकाकरण और उपचारित कुत्तों को छोड़ने पर रोक लगाई गई थी, अत्यधिक कठोर साबित हो सकता है.
इस फैसले ने न केवल आवारा कुत्तों के संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन साधने का रास्ता दिखाया, बल्कि जस्टिस नाथ को भी न्यायिक दुनिया से बाहर व्यापक पहचान दिलाई है.


