चौथे नेक्स्ट जनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल का कील बिछाने कार्य शुरू
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने चौथे नेक्स्ट जनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल (एनजीओपीवी) का कील बिछाया, जो भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा और समुद्री निगरानी को मजबूत करेगा. यह जहाज "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" मिशन के तहत निर्मित है, जिसमें नवीन तकनीक, खोज-बचाव, समुद्री डकैती विरोधी अभियान और अपतटीय सुरक्षा शामिल है.

चौगोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने 9 जून 2025 को अपने यार्ड नंबर 1283 में चौथे नेक्स्ट जनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल (एनजीओपीवी) का कील बिछाने का औपचारिक कार्य संपन्न किया. इस महत्वपूर्ण अवसर पर वीएडएम कृष्णा स्वामीनाथन, वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (VCNS) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इसके अलावा श्री ब्रजेश कुमार उपाध्याय, चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) जीएसएल तथा भारतीय नौसेना और शिपयार्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
परियोजना के तहत निर्माण कार्य
30 मार्च 2023 को हुए अनुबंध के अनुसार कुल 11 नेक्स्ट जनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल (एनजीओपीवी) का निर्माण कार्य चल रहा है. इनमें से सात जहाज गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल), गोवा में बनाए जा रहे हैं, जबकि शेष चार जहाज ग्रैंड रेडी शिपयार्ड (GRSE), कोलकाता में निर्मित किए जा रहे हैं. यह परियोजना भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा और समुद्री निगरानी क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए शुरू की गई है.
एनजीओपीवी के महत्व और कार्यक्षमता
लगभग 3000 टन भार वाले ये जहाज आधुनिक तकनीक से लैस हैं और विशेष रूप से तटीय रक्षा, समुद्री निगरानी, खोज एवं बचाव कार्यों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. इसके अतिरिक्त, ये वेसल अपतटीय संपत्तियों की सुरक्षा तथा समुद्री डकैती और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इन जहाजों का उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और भारत के समुद्री क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना है.
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत निर्मित
एनजीओपीवी परियोजना देश के "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन इंडिया" मिशन के तहत विकसित की जा रही है. इन जहाजों के निर्माण में स्थानीय संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञता का व्यापक उपयोग किया जा रहा है, जिससे भारतीय रक्षा क्षेत्र की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है. यह पहल न केवल नौसेना की समुद्री ताकत को मजबूत करती है, बल्कि देश के रक्षा उद्योग को भी सशक्त बनाती है.
भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं में वृद्धि
इन जहाजों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभुत्व में उल्लेखनीय सुधार होगा. एनजीओपीवी समुद्री क्षेत्र में तेजी से बढ़ते खतरों का सामना करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो युद्धकालीन और शांति दोनों समय में प्रभावी संचालन में सक्षम होंगे.