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छत्तीसगढ़ में 2.95 करोड़ रुपये के इनामी 12 नक्सलियों ने किया सरेंडर

राजनांदगांव जिले में एक बड़ी सफलता मिली, जहां कुल 12 नक्सलियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया. 

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास लगातार प्रभावी साबित हो रहे हैं. सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों के दबाव के बीच नक्सलियों के आत्मसमर्पण का सिलसिला तेज़ होता जा रहा है. इसी क्रम में सोमवार को राजनांदगांव जिले में एक बड़ी सफलता मिली, जहां कुल 12 नक्सलियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया. 

रामधेर पर 1.05 करोड़ रुपये का इनाम 

यह समूह लंबे समय से वांछित था और इन सभी पर कुल 2.95 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. सरेंडर करने वालों में माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति का कुख्यात सदस्य रामधेर भी शामिल है, जिस पर अकेले 1.05 करोड़ रुपये का इनाम था.

अधिकारियों ने बताया कि इन नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. इनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं, जो लंबे समय से अलग-अलग पोजीशन पर नक्सल संगठन से जुड़ी थीं. आत्मसमर्पण के दौरान उन्होंने भारी मात्रा में हथियार भी पुलिस को सौंपे. जमा किए गए हथियारों में तीन AK-47 राइफल, तीन इंसास राइफल, दो .303 राइफल, एक SLR और एक कार्बाइन शामिल है.

सरेंडर करने वालों में केंद्रीय समिति सदस्य रामधेर उर्फ होरुपु उर्फ अमरजीत के अलावा उसकी पत्नी अनीता, चंदू उर्फ नरेश, प्रेम उर्फ उमराव, जानकी, शीला, लक्ष्मी, योगिता, सागर, कविता और दो एरिया कमेटी सदस्य रामसिंह व सुकेश भी शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक ये सभी लंबे समय से अलग-अलग इलाकों में सक्रिय थे और कई घटनाओं में इनकी तलाश की जा रही थी.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने क्या कहा?

इस बड़े आत्मसमर्पण पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि यह घटना नक्सलवाद के कमजोर पड़ते प्रभाव का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में 4,000 से अधिक नक्सली संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं. मुख्यमंत्री के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह अंत कर दिया जाए.

उन्होंने आगे कहा कि नक्सलवाद के कारण दशकों तक बस्तर और आसपास के क्षेत्रों का विकास बाधित रहा. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. सड़क, बिजली, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से काम हो रहा है, जो नक्सली पुनर्वास नीति का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं, वे अब सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री साय ने इसे “बदलते छत्तीसगढ़” की झलक बताते हुए कहा कि राज्य अब हिंसा नहीं, बल्कि संवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है.

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08 December 2025, 11:30 PM IST

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