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POCSO में विधायक लोक सेवक होंगे या नहीं? उन्नाव केस ने क्यों उठाया आडवाणी वाला सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाकर सेंगर की जमानत को रोका है. CBI ने आडवाणी केस का हवाला देते हुए तर्क दिया कि विधायकों को POCSO एक्ट के तहत लोक सेवक माना जाना चाहिए.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : उन्नाव रेप केस में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उसे जमानत दी गई थी. यह सुनवाई 29 दिसंबर को हुई, जब CBI ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

आडवाणी बनाम CBI मामले का हवाला

आपको बता दें कि सीबीआई ने सेंगर को मिली राहत के खिलाफ तर्क प्रस्तुत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के 1997 के लालकृष्ण आडवाणी बनाम CBI मामले का हवाला दिया. उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सांसद और विधायक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत ‘लोक सेवक’ की श्रेणी में आते हैं. CBI ने तर्क दिया कि यदि विधायकों को भ्रष्टाचार जैसे मामलों में लोक सेवक माना जा सकता है, तो बच्चों के खिलाफ यौन अपराध (POCSO) जैसे गंभीर मामलों में उन्हें इस श्रेणी से बाहर नहीं रखा जा सकता. एजेंसी ने चेतावनी दी कि अगर विधायकों को लोक सेवक नहीं माना गया, तो पॉक्सो एक्ट का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा.

दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय और विवाद
दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर को जमानत देते हुए कहा था कि POCSO एक्ट के तहत विधायक को ‘लोक सेवक’ नहीं माना जा सकता क्योंकि कानून में उनका स्पष्ट उल्लेख नहीं है. हाई कोर्ट ने यह भी तर्क दिया कि सजा निलंबन और जमानत देने का उद्देश्य विधायकों के अधिकारों और उनकी सामाजिक स्थिति के संतुलन के लिए है. सेंगर 2017 में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म और उसके पिता की हिरासत में मौत के मामले में दोषी ठहराया गया था. निचली अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख और आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने CBI की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते में जवाब मांगा. इसका मतलब है कि फिलहाल सेंगर जेल में ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में विधायकों के लिए ‘लोक सेवक’ की श्रेणी और POCSO एक्ट के प्रावधानों की व्याख्या पर कानून की गहन समीक्षा जरूरी है.

कानून के समक्ष सभी समान
यह फैसला न केवल उन्नाव रेप केस में न्याय सुनिश्चित करने के लिहाज से अहम है, बल्कि यह भी स्थापित करता है कि राजनीतिक पद या सामाजिक स्थिति अपराधियों को संरक्षण नहीं दे सकती. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख ने यह संदेश दिया कि गंभीर यौन अपराधों के मामलों में कानून के समक्ष सभी समान हैं और न्याय सुनिश्चित किया जाएगा. इस मामले में न्यायपालिका की सक्रियता और CBI की संवेदनशीलता समाज में बच्चों और पीड़ितों की सुरक्षा के प्रति गंभीर दृष्टिकोण को दर्शाती है.

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