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'भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे...' बांके बिहारी मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बयान

Banke Bihari Temple: वृंदावन स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर के विकास और मंदिर फंड के उपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में सोमवार को नया मोड़ आया। शीर्ष अदालत ने भगवान श्रीकृष्ण को 'पहला मध्यस्थ' बताते हुए सभी पक्षकारों से आपसी सहमति से विवाद निपटाने का सुझाव दिया।

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Banke Bihari Temple: उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे विवाद पर अदालत ने भगवान श्रीकृष्ण की भावना का उल्लेख करते हुए पक्षकारों से आपसी सहमति से समाधान निकालने का आग्रह किया. कोर्ट ने कहा कि भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे... कृपया इस मामले में भी मध्यस्थता का प्रयास करें.

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर विकास हेतु 500 करोड़ रुपये की योजना और उसके लिए मंदिर के फंड के इस्तेमाल से जुड़ा एक अध्यादेश लाया गया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी आपत्ति जताते हुए पहले इसकी संवैधानिक वैधता की जांच की आवश्यकता बताई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह पहले दिए गए अपने ही फैसले को फिलहाल स्थगित कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया कि किस अधिकार से उसने मंदिर ट्रस्ट के पैसे के उपयोग की अनुमति प्राप्त की. कोर्ट ने 15 मई को दिए गए अपने निर्णय पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वह अब उस आदेश के एक हिस्से को स्थगित करने पर विचार कर रही है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि हम प्रस्ताव रखते हैं कि उस आदेश का एक हिस्सा फिलहाल स्थगित किया जाए. एक पूर्व हाई कोर्ट या जिला न्यायाधीश को प्रबंधन ट्रस्टी नियुक्त किया जा सकता है.

बिना सुने अध्यादेश लाया गया

मंदिर के पूर्व प्रबंधन ने अदालत में दलील दी कि यह अध्यादेश बिना उनकी सुनवाई के लाया गया, जिससे उनके परिवार को मंदिर की प्राचीन सेवा से हटा दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि यह एक निजी विवाद था, जिसमें राज्य सरकार ने अनावश्यक हस्तक्षेप किया और सुप्रीम कोर्ट से आदेश प्राप्त कर लिया.
कोर्ट का सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि अगर राज्य सरकार को मंदिर क्षेत्र में विकास करना था, तो वह वैध तरीके से भूमि अधिग्रहण करके ऐसा क्यों नहीं कर सकती थी. अगर राज्य विकास कार्य करना चाहता है, तो कानून के अनुसार जमीन अधिग्रहण क्यों नहीं किया गया? अदालत द्वारा नियुक्त कोई रिसीवर भी नहीं था. किसी को मंदिर की ओर से सुना जाना चाहिए था," न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा.

अदालत का सुझाव

कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति का गठन किया जाए, जो अध्यादेश की वैधता तय होने तक मंदिर के प्रबंधन और विकास कार्यों की जिम्मेदारी संभाले. यह समिति तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मंदिर निधि का उपयोग कर सकेगी.

प्रस्ताव पर विचार कर दे जवाब

कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को अगले दिन सुबह 10:30 बजे तक उत्तर प्रदेश सरकार से चर्चा कर प्रस्ताव पर जवाब देने का निर्देश दिया है.

क्यों उठा था पुनर्विकास का मुद्दा?

1862 में बने बांके बिहारी मंदिर में अगस्त 2022 में जन्माष्टमी के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी, जिसमें दो लोगों की जान चली गई थी. इसके बाद सितंबर 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर में दर्शन व्यवस्था बेहतर बनाने और भीड़ नियंत्रण के लिए एक कॉरिडोर प्लान तैयार करने का निर्देश दिया था.

न्यायपालिका की चेतावनी

इससे पहले भी मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि यदि राज्य निजी मामलों में इस प्रकार दखल देगा तो कानून का शासन खतरे में पड़ जाएगा. अगर राज्य इस तरह निजी विवादों में कूदेगा, तो यह कानून व्यवस्था के लिए खतरनाक होगा," कोर्ट ने स्पष्ट कहा था.

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04 August 2025, 02:56 PM IST

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