एमके स्टालिन ने परिसीमन को लेकर उठाए सवाल, अब चेन्नई में होगी बैठक
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को बंगाल की ममता बनर्जी, पंजाब के भगवंत मान और भाजपा शासित ओडिशा के मोहन चंद्र मांझी सहित सात मुख्यमंत्रियों को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया. उन्होंने इन नेताओं को एक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाने और 22 मार्च को चेन्नई में बैठक करने के लिए आमंत्रित किया.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को बंगाल की ममता बनर्जी, पंजाब के भगवंत मान और भाजपा शासित ओडिशा के मोहन चंद्र मांझी सहित सात मुख्यमंत्रियों को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया. उन्होंने इन नेताओं को एक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाने और 22 मार्च को चेन्नई में बैठक करने के लिए आमंत्रित किया. इस बैठक का उद्देश्य परिसीमन के संभावित प्रभावों पर चर्चा करना और सामूहिक रणनीति तैयार करना है.
स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि परिसीमन संघवाद पर एक बड़ा हमला है. यह संसद में हमारी आवाज को दबाकर उन राज्यों को दंडित करता है जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को प्राथमिकता दी है. हम इस लोकतांत्रिक अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे.
तमिलनाडु सरकार पहले से ही केंद्र की 'हिंदी थोपने' की नीति और परिसीमन प्रस्ताव का जोरदार विरोध कर रही है. स्टालिन का मानना है कि यह नीतियां संविधान की संघीय भावना और तमिल भाषा व संस्कृति पर हमला करती हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि त्रिभाषा फॉर्मूला किसी भी छात्र को हिंदी पढ़ने के लिए बाध्य नहीं करता और परिसीमन से दक्षिणी राज्यों को कोई नुकसान नहीं होगा.
परिसीमन को लेकर चिंता
स्टालिन की बैठक मुख्य रूप से परिसीमन के प्रभावों पर केंद्रित होगी. उनका मानना है कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में सफलता हासिल की है, वे लोकसभा सीटों के पुनर्वितरण में नुकसान उठा सकते हैं. 1976 के बाद परिसीमन की प्रक्रिया को 2002 में रोक दिया गया था, लेकिन अब केंद्र सरकार इसे फिर से शुरू करने की योजना बना रही है.
अगर परिसीमन 2026 की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है, तो उन राज्यों की लोकसभा सीटें बढ़ सकती हैं, जहां जनसंख्या वृद्धि अधिक हुई है. इसका मतलब यह है कि दक्षिणी राज्यों की सीटें कम हो सकती हैं, जिससे उनका संसदीय प्रभाव घट सकता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, दो संभावित तरीके अपनाए जा सकते हैं. पहला, मौजूदा 543 सीटों का पुनर्वितरण और दूसरा, सीटों की संख्या 800 से अधिक करना. दोनों ही स्थितियों में जनसंख्या नियंत्रित करने वाले राज्यों को नुकसान होगा.
स्टालिन ने अपने पत्र में लिखा कि हमें जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
अमित शाह के आश्वासन पर सवाल
स्टालिन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि परिसीमन के कारण दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें नहीं घटेंगी. उन्होंने कहा कि शाह ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या उत्तर भारत के राज्यों को अधिक सीटें मिलेंगी, जिससे दक्षिणी राज्यों का महत्व कम हो सकता है. इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी परिसीमन पर शाह के स्पष्टीकरण को "भ्रामक" और "अविश्वसनीय" बताया था.
पीएम मोदी से अपील
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि अगर परिसीमन किया जाना है तो इसे 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि इसे 30 वर्षों के लिए स्थगित कर देना चाहिए ताकि अन्य राज्यों को भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित किया जा सके. यह प्रस्ताव तमिल राजनीतिक दलों द्वारा पारित प्रस्ताव का हिस्सा था, जिसका भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने बहिष्कार किया था.
इस बीच, डीएमके नेताओं ने नवविवाहित जोड़ों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया है ताकि राज्य की जनसंख्या को बढ़ाया जा सके और भविष्य में परिसीमन से होने वाले नुकसान को रोका जा सके.
तमिलनाडु में आगामी चुनावों से पहले परिसीमन का मुद्दा तेजी से राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है. स्टालिन और अन्य विपक्षी नेता इसे संघीय ढांचे और दक्षिणी राज्यों के अधिकारों पर हमला मान रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार इसे एक संवैधानिक प्रक्रिया के रूप में देख रही है.


