क्या वाकई धरती से लुप्त हो जाएगा इंसान? मोहन भागवत ने कही ऐसी बात की सोच में पड़ जाएंगे आप!
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने घटती जनसंख्या और प्रजनन दर को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि अगर प्रजनन दर 2.1 से नीचे चली गई, तो समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. वहीं, राजनीतिक बहस छिड़ी है कि बढ़ती या घटती जनसंख्या को कैसे संभाला जाए. क्या वाकई गिरती प्रजनन दर समाज के लिए खतरा है? या फिर इसके पीछे कोई और वजह है? इस मुद्दे पर पढ़िए पूरी खबर, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी!

Mohan Bhagwat Warning: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में घटती जनसंख्या और प्रजनन दर को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या गिरावट समाज के लिए खतरा बन सकती है. उनका मानना है कि परिवारों में कम से कम दो से तीन बच्चे होने चाहिए ताकि समाज जीवित रह सके और अपनी पहचान बनाए रख सके.
समाज के लिए बड़ा खतरा
भागवत ने बताया कि प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) का 2.1 से नीचे जाना समाज के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है. उन्होंने इसे वैज्ञानिक तथ्यों से जोड़ते हुए कहा कि जब किसी समाज की जनसंख्या दर 2.1 से कम होती है, तो वह धीरे-धीरे समाप्त हो सकता है. यह चिंता तब और बढ़ जाती है जब हम देखते हैं कि आज दुनिया भर में कई समाज और भाषाएं इसी वजह से खत्म हो चुकी हैं.
आजादी के बाद भारत में प्रजनन दर में भारी गिरावट
1950 के दशक में भारत की औसत प्रजनन दर प्रति महिला 6.2 थी. लेकिन समय के साथ यह घटकर वर्तमान में 2.0 पर आ गई है. अगर यह रुझान जारी रहा, तो अनुमान है कि 2050 तक यह दर घटकर 1.3 रह जाएगी. इसका मतलब है कि भारत में परिवार छोटे होते जाएंगे और जनसंख्या संतुलन पर असर पड़ेगा.
सामाजिक और राजनीतिक बहस
भागवत के बयान के समय पर चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि हाल ही में बीजेपी के कई नेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाने की मांग की है. राजस्थान के विधायक बालमुकुंदाचार्य ने कहा था कि विकास और संतुलन के लिए जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाना जरूरी है. हालांकि, उन्होंने अपने बयान में एक विशेष समुदाय पर निशाना साधा, जिससे विवाद बढ़ गया.
वहीं कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर केवल एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. कांग्रेस का कहना है कि अगर सच में संतुलन और विकास के लिए कानून लाया जाता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा, लेकिन इसके पीछे की नीयत साफ होनी चाहिए.
समाज के भविष्य पर सवाल
जनसंख्या विज्ञान की बात करें तो यह स्पष्ट है कि समाज की स्थिरता के लिए 2.1 की प्रजनन दर बनाए रखना जरूरी है. भागवत ने इस मुद्दे पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि देश की 1998 या 2002 की जनसंख्या नीति में भी यह बात कही गई थी. जनसंख्या का गिरना और बढ़ना, दोनों ही समाज के लिए अहम हैं. यह जरूरी है कि हम इस मुद्दे को संतुलन के साथ समझें. जहां एक तरफ बढ़ती जनसंख्या विकास में रुकावट डाल सकती है, वहीं गिरती प्रजनन दर समाज के अस्तित्व के लिए खतरा है. ऐसे में यह चर्चा न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी जरूरी है ताकि समाज का भविष्य सुरक्षित और स्थिर रह सके.


