दिल्ली ब्लास्ट मामले में फरार आतंकी डॉक्टर अहमद राथर पर NIA का शिकंजा, घोषित किया भगोड़ा
दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर पर NIA ने शिकंजा कस दिया है. श्रीनगर की कोर्ट ने उसे अपराधी घोषित किया और 28 जनवरी 2026 को पेश होने का आदेश दिया.

नई दिल्ली : दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर 2025 को हुए कार ब्लास्ट मामले में फरार चल रहे मुख्य आरोपी डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर पर कानून का शिकंजा कस गया है. श्रीनगर की NIA कोर्ट ने उसे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 84 के तहत अपराधी घोषित कर दिया है. यह आदेश पिछले हफ्ते पारित किया गया था, जिसके बाद विशेष जज ने शनिवार को राथर के घर काजीगुंड में नोटिस चिपकाया. अदालत के आदेश में साफ किया गया कि आरोपी को 28 जनवरी 2026 को सुबह 10 बजे अदालत में पेश होना होगा और आरोपों का जवाब देना होगा.
कार ब्लास्ट की साजिश में शामिल था राथर
तिकड़ी और विस्फोटक सामग्री का खुलासा
जांच में यह सामने आया कि इस मॉड्यूल को तीन डॉक्टर संचालित कर रहे थे – डॉ. मुजफ्फर गनी, डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजफ्फर राथर. नवंबर में जांच के दौरान 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई. डॉ. उमर नबी पर उस कार को चलाने का आरोप है, जिसमें विस्फोटक भरकर धमाका किया गया था.
फरीदाबाद स्थित यूनिवर्सिटी में छापेमारी
इस पूरे मॉड्यूल का पता तब चला, जब अक्टूबर में नौगाम के बनपोरा इलाके में दीवारों पर पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर लगाए गए. जांच के तहत श्रीनगर पुलिस ने फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में छापेमारी की, जहां से डॉ. मुजफ्फर गनी और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया.
डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर के फरार रहने और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण अदालत ने उस पर सख्त कार्रवाई की है. इसके अलावा, NIA की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मॉड्यूल गंभीर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त था. कानून के मुताबिक, आरोपी की गिरफ्तारी और मुकदमे की सुनवाई आगामी 28 जनवरी 2026 को तय हुई है.


