सही समय पर आपत्ति दर्ज नहीं करवाई, मौका गवां दिया...वोट चोरी के आरोपों और बिहार SIR पर बोला चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने विपक्ष के वोटर फ्रॉड के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायत "दावे और आपत्तियां" की अवधि में करनी चाहिए थी. आयोग ने प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर भरोसा जताया और कहा कि सभी पार्टियों को सूची की जांच का मौका दिया गया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा में वोट चोरी के आरोप लगाए हैं.

ECI Response to Opposition : लोकसभा चुनाव 2024 में वोटर फ्रॉड के आरोपों को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच, चुनाव आयोग ने शनिवार को स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी भी गलती को चुनौती देने का सही समय "दावे और आपत्तियां" (Claims and Objections) की अवधि होती है, जो हर चुनाव से पहले तय समय के लिए रखी जाती है.
मतदाता सूची की प्रक्रिया
Election Commission of India says, "Recently, some Political Parties and individuals are raising issues about errors in the Electoral Rolls, including those prepared in the past. The appropriate time to raise any issue with the Electoral Rolls would have been during the Claims… pic.twitter.com/0Q2e9brBES
— ANI (@ANI) August 16, 2025
प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है
आयोग ने कहा कि मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है, और यह काम कानूनी नियमों के अनुसार होता है. आयोग ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) ने समय रहते मतदाता सूचियों की जांच नहीं की और ना ही तब किसी गलती को उठाया.
राजनीतिक दलों से अपील
चुनाव आयोग ने सभी दलों और आम मतदाताओं से अपील की है कि वे मतदाता सूचियों की जांच करें और अगर कोई गलती है तो समय रहते सूचित करें, जिससे सूचियों की शुद्धता बनी रहे.
विपक्ष ने एक बार फिर आरोप लगाए
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राज्यों में "वोट की चोरी" का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग मतदाता डेटा में गड़बड़ी कर रहा है और सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है. इस विवाद के बीच चुनाव आयोग ने साफ किया है कि वह पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ काम कर रहा है और आरोप लगाने वाले दलों को समय रहते उचित मंच पर आपत्तियां दर्ज करनी चाहिए थीं.


