रिन्यूएबल एनर्जी की रफ्तार ने हिला दिया तेल का साम्राज्य, भारत-चीन की चाल से खाड़ी मुल्कों की दुकानों पर लटके ताले
भारत और चीन अब कच्चे तेल पर निर्भरता घटाकर तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ रहे हैं। इस बदलाव से खाड़ी देशों की दुकानों पर ताले लग सकते हैं और रूस-अमेरिका को अरबों का घाटा उठाना पड़ सकता है।

Business News: भारत और चीन अब तेल की जगह रिन्यूएबल एनर्जी को तरजीह दे रहे हैं। दोनों मुल्क सोलर और इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर तेजी से काम कर रहे हैं। इस साल इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 27% बढ़ गई है। चीन की इलेक्ट्रिक गाड़ियां पूरी दुनिया में तहलका मचा रही हैं। इसका असर सीधा खाड़ी देशों की दुकानों पर पड़ेगा। तेल बेचकर अमीर बने खाड़ी मुल्क अब परेशान हो सकते हैं। भारत और चीन अगर आयात घटाते हैं तो उनकी दुकानों पर ताले लगना तय है। रूस को भी नुकसान होगा क्योंकि वह इन देशों का बड़ा सप्लायर है। अमेरिका पहले ही सबसे बड़ा क्रूड प्रोड्यूसर है। हालात बदलने से उसकी मुश्किलें भी बढ़ेंगी।
चीन का रिकॉर्ड तोड़ सफर
चीन ने रिन्यूएबल एनर्जी में दुनिया को चौंका दिया है। अप्रैल 2024 में उसने जितनी सोलर पावर लगाई, उतनी ऑस्ट्रेलिया अपने पूरे इतिहास में नहीं कर सका। चीन अब पहले इलेक्ट्रोस्टेट बनने की ओर बढ़ रहा है। उसका मुकाबला इस वक्त कोई नहीं कर पा रहा। क्लीन टेक्नोलॉजी में चीन सबसे आगे निकल चुका है।
भारत की बड़ी तैयारी
भारत भी पीछे नहीं है। उसने 100 गीगावॉट सोलर मॉड्यूल की मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी हासिल कर ली है। हर साल नए-नए प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं। पेट्रोलियम की खपत में कमी दर्ज की गई है। हालांकि घरेलू प्रोडक्शन कम होने से आयात बढ़ा है। लेकिन लंबे वक्त में भारत का टारगेट कच्चे तेल पर निर्भरता खत्म करना है।
घटता तेल आयात
चीन दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है। लेकिन 2024 में उसके आयात में दो दशक बाद गिरावट दर्ज हुई। कोरोना काल को छोड़ दें तो ये पहली बार हुआ है। 2023 में चीन ने 11.28 मिलियन बैरल रोजाना आयात किया था। जबकि 2024 में यह घटकर 11.04 मिलियन बैरल रह गया। यह 1.9% की कमी है।
किन मुल्कों को लगेगा झटका
तेल के बड़े भंडार वेनेजुएला और ईरान के पास हैं। लेकिन अमेरिका के प्रतिबंधों ने उन्हें कमजोर कर दिया है। भारत और चीन अब रूस से ज्यादा तेल खरीद रहे हैं। सऊदी अरब, इराक, यूएई, लीबिया, कुवैत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा तेल से जुड़ा है। अगर भारत-चीन ने मुंह मोड़ा तो यह सबके लिए बड़ा झटका होगा।
बदलती दुनिया का इशारा
दुनिया अब फॉसिल फ्यूल से इलेक्ट्रिक और क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है। भारत-चीन इस रफ्तार के सबसे बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। यह बदलाव सिर्फ खाड़ी देशों के लिए नहीं बल्कि अमेरिका-रूस जैसे दिग्गजों के लिए भी खतरे की घंटी है। यह साफ है कि अब दुनिया की दुकानों के ताले नई ऊर्जा की चाभी से खुलेंगे।


