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काम के दबाव में आकर ओला कर्मचारी ने कर लिया सुसाइड, कंपनी ने दी यह सफाई

ओला कंपनी के एआई डिवीजन "क्रुट्रिम" में कार्यरत एक युवा कर्मचारी अनिल ने कथित तौर पर अत्यधिक कार्यभार और मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या कर ली. रेडिट पोस्ट में दावा किया गया कि अनिल पर तीन लोगों का काम डाला गया था. कंपनी ने पुष्टि की कि वह निजी छुट्टी पर थे और उनके निधन पर दुख व्यक्त किया. यह घटना कॉर्पोरेट वर्क कल्चर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल उठाती है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

ओला (Ola) कंपनी के एक कर्मचारी की आत्महत्या की खबर ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. यह मामला तब सामने आया जब रेडिट (Reddit) पर एक अज्ञात यूजर ने दावा किया कि उसका सहकर्मी "अत्यधिक काम के दबाव" के चलते जिंदगी की जंग हार गया. इस पोस्ट में कहा गया कि उक्त कर्मचारी फ्रेशर था, फिर भी उस पर तीन लोगों का काम सौंपा गया था.

इस दावे के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर कंपनी की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे. लोग यह जानने को उत्सुक हो गए कि आखिर ऐसी कौन-सी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने एक युवा कर्मचारी को आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया.

क्रुट्रिम AI डिवीजन से जुड़ा मामला

खबरों के मुताबिक, यह मामला ओला के एआई डिवीजन "क्रुट्रिम" (Krutrim AI) से जुड़ा हुआ है. इस यूनिट की अगुवाई ओला के संस्थापक और सीईओ भाविश अग्रवाल कर रहे हैं. बताया गया कि दिवंगत कर्मचारी अनिल को न केवल अपेक्षाओं से अधिक काम दिया गया था, बल्कि उसे लगातार मानसिक दबाव का सामना भी करना पड़ रहा था.रेडिट पोस्ट में दावा किया गया है कि प्रबंधन द्वारा सहानुभूति की कमी और असहनीय वर्कलोड ने उसकी मानसिक स्थिति को और बिगाड़ दिया.

ओला का आधिकारिक बयान

कंपनी ने अनिल की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक "निजी नुकसान" है और उनका निधन 8 मई को हुआ. ओला क्रुट्रिम के प्रवक्ता ने कहा, "हम अपने सबसे प्रतिभाशाली युवा कर्मचारियों में से एक, अनिल के निधन से बेहद दुखी हैं. इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएँ उनके परिवार, दोस्तों और साथियों के साथ हैं."

प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल 8 अप्रैल से व्यक्तिगत छुट्टी पर थे. उन्होंने अपने मैनेजर को बताया था कि उन्हें मानसिक रूप से विश्राम की आवश्यकता है, और तुरंत छुट्टी स्वीकृत कर दी गई थी. 17 अप्रैल को अनिल ने सूचित किया कि वे थोड़ा बेहतर महसूस कर रहे हैं, लेकिन अभी और आराम की जरूरत है. इस अनुरोध के बाद उनकी छुट्टी आगे बढ़ा दी गई.

सवाल जो अब भी अनुत्तरित हैं

हालांकि कंपनी ने बयान देकर मामले को व्यक्तिगत कारणों से जुड़ा बताया है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह बहस लगातार चल रही है कि क्या वाकई केवल छुट्टी देना पर्याप्त था? रेडिट यूजर के दावों के अनुसार, कंपनी में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है और फ्रेशर्स पर जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियां डाल दी जाती हैं. इस घटना ने एक बार फिर कॉर्पोरेट वर्क कल्चर और वर्क-लाइफ बैलेंस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सोशल मीडिया पर आक्रोश 

अनिल की मृत्यु के बाद ट्विटर, लिंक्डइन और रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म पर लोगों ने गहरा शोक जताया. कई यूजर्स ने यह मांग की कि कंपनियों को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और कर्मचारियों पर काम का बोझ कम करना चाहिए. एक यूजर ने लिखा, “अनिल की आत्महत्या सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक सिस्टम की विफलता है.”

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जरूरी सुधार

यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि तेजी से भागती कॉर्पोरेट दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि कोई अन्य कार्य कुशलता. कंपनी भले ही छुट्टी देती हो, लेकिन क्या वह अपने कर्मचारियों की भावनात्मक जरूरतों को समझती है? यह समय है जब कॉर्पोरेट संस्थानों को केवल ‘वर्क आउटपुट’ के बजाय ‘ह्यूमन वेलबीइंग’ को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है.

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18 May 2025, 04:36 PM IST

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