ऑपरेशन सिंदूरः भारत की त्वरित सैन्य एक्शन से घुटनों पर आया पाकिस्तान, कैसे Pak की युद्ध क्षमता को बनाया दिया अपंग?
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर सटीक और योजनाबद्ध प्रतिक्रिया दी. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने 10 मई को पाकिस्तान के 11 प्रमुख एयरबेस पर हमला किया, जिससे पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमता को नष्ट कर दिया. यह महज बदला नहीं था, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य ताकत को पूरी तरह से खत्म करने की रणनीति थी. भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक और सैन्य दृष्टि से घेरते हुए युद्धविराम की मांग करवाई.

पहलगाम हमले के बाद भारत ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर उसकी प्रतिक्रिया में गलत व्याख्या की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. इस बार भारत सिर्फ़ जमीनी स्तर के आतंकवादियों पर ही हमला नहीं कर रहा था, बल्कि उसका लक्ष्य 'सांप का सिर' था, जो उसकी रणनीति में एक बदलाव का संकेत था. उद्देश्य स्पष्ट था, आतंकवाद को अंजाम देने वालों को ही नहीं, बल्कि उसे अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड को भी खत्म करना.
भारत के सशस्त्र बलों ने एक सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध, बगैर किसी गलती के एक ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसका कोड नाम ऑपरेशन सिंदूर था. इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से घेर लिया, सैन्य रूप से अपंग बना दिया और कुछ ही घंटों में युद्ध विराम की तत्काल मांग करने लगा.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई
पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के इस ऑपरेशन की योजना बनाई गई. 6-7 मई की रात भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें जमींदोज कर दिया. पाकिस्तान को भारत की यह कार्रवाई रास नहीं आई और उसने उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए भारत के करीब 26 शहरों को निशाना बनाकर ड्रोन हमले किए. भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी हमलों को हवा में ही मार गिराया.
भारत ने 11 एयरबेस को किया टारगेट
आपको बता दें कि भारतीय प्रतिक्रिया आवेगपूर्ण नहीं थी, यह गणना की गई, बहुआयामी और सही समय पर की गई थी. 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने 11 महत्वपूर्ण पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर 90 मिनट का सटीक हवाई अभियान शुरू किया गया, जिसमें दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला किया गया और कुछ घंटों बाद होने वाले हमले की नींव रखी गई.
यह महज बदला लेने की कोशिश नहीं थी. यह पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमता को रणनीतिक रूप से नष्ट करना था, जिससे युद्ध छेड़ने या यहां तक कि सार्थक रक्षा करने की उसकी क्षमता को व्यवस्थित रूप से खत्म कर दिया गया.
पाकिस्तान की वायु सेना की रीढ़ तोड़ना
शुरूआती लक्ष्यों में पाकिस्तान वायु सेना के कुछ सबसे सैन्य हवाई अड्डे इनमें शामिल थे.
नूर खान एयरबेस (रावलपिंडी)- सैन्य वीआईपी परिवहन का केंद्र, जो पाकिस्तान के जनरल मुख्यालय के बगल में स्थित है. इसका विनाश प्रतीकात्मक और सर्जिकल दोनों था, जिसने शीर्ष-स्तरीय समन्वय को तोड़ दिया.
सरगोधा (मुशफ बेस) - पाकिस्तान के परमाणु वितरण प्लेटफार्मों का तंत्रिका केंद्र और कुलीन कॉम्बैट कमांडर्स स्कूल का घर. इसके विनाश ने PAF को भ्रमित और अंधा बना दिया.
रफीकी, मुरीद, सियालकोट, स्कार्दू, जैकबाबाद, सुक्कुर, पसरूर, चुनियन और भोलारी - सामूहिक रूप से पाकिस्तान के F-16, JF-17 थंडर, मिराज और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध इकाइयाँ हैं. उनके विनाश ने पाकिस्तान के आसमान को लगभग असुरक्षित कर दिया.
इन हमलों ने हवाई श्रेष्ठता स्क्वाड्रन, ड्रोन बेस, रडार नेटवर्क और युद्ध के लिए तैयार विमानों को बेअसर कर दिया, जिससे एक रात में ही पाकिस्तान की वायु सेना को प्रभावी रूप से जमीन पर उतार दिया गया.
ऑपरेशन सिंदूर: निर्णायक झटका
कुछ ही घंटों बाद, भारत के आक्रामक अभियान का अगला चरण-ऑपरेशन सिंदूर-ठीक 1:04 बजे शुरू हुआ, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाया गया. इनमें बहावलपुर और मुरीदके में आतंकी गढ़ शामिल थे, जिन्हें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुख्यालय के रूप में जाना जाता है, जो पिछले तीन दशकों में भारतीय धरती पर सबसे घातक हमलों के लिए जिम्मेदार समूह हैं.
लक्ष्यों को यादृच्छिक रूप से नहीं चुना गया था. नौ में से प्रत्येक साइट को आतंकी ढांचे में महत्वपूर्ण नोड्स के रूप में पहचाना गया था, जो घुसपैठ, प्रशिक्षण और भारतीय संपत्तियों पर हमलों की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार थे.
इनमें शामिल थेः
- सियालकोट और कोटली - सीमा पार से घुसपैठ की रसद के लिए महत्वपूर्ण.
- भीमबर - आईएसआई-समन्वित अभियानों के लिए एक तंत्रिका केंद्र.
- बहावलपुर और मुरीदके - जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के वैचारिक और परिचालन मुख्यालय
पूरे 25 मिनट के सटीक हमले अभियान ने एक जोरदार संदेश दिया: भारत सिर्फ जवाब नहीं दे रहा था-वह पाकिस्तान की आतंक-निर्यात मशीनरी को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर रहा था.
भारत के शस्त्रागार में गेम-चेंजर
भारत के सैन्य शस्त्रागार में एक शक्तिशाली आयाम जोड़ने वाला आकाश एयर डिफेंस सिस्टम है, जो एक क्रांतिकारी वास्तविक समय लक्ष्यीकरण और अवरोधन प्रणाली है. भारत के DRDO, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा विकसित और ISRO के साथ एकीकृत यह प्रणाली, NAVIC-संचालित सटीक मार्गदर्शन, उपग्रह-लिंक्ड स्वायत्तता और अभूतपूर्व हवाई क्षेत्र नियंत्रण और सटीक हमलों के लिए स्टील्थ ड्रोन को जोड़ती है.
ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का अनावरण युद्ध के इतिहास में एक निर्णायक क्षण था. पहली बार किसी गैर-पश्चिमी देश ने पूरी तरह से स्वदेशी, AI-समन्वित, उपग्रह-लिंक्ड स्वायत्त युद्ध दल का प्रदर्शन किया है, जो युद्ध अभियानों के भविष्य को फिर से परिभाषित करता है. जैसे ही भारत ने पाकिस्तान की हवाई श्रेष्ठता को खत्म किया, आकाश तीर ने दिखाया कि कैसे AI-संचालित स्वायत्त सिस्टम भविष्य के युद्ध के मैदान को आकार देंगी.
स्वायत्त अवरोधन के लिए ISRO के उपग्रह नेटवर्क और AI का लाभ उठाते हुए, आकाश डिफेंस सिस्टम एक बहु-स्तरीय रक्षा और आक्रमण कमांड सिस्टम के रूप में कार्य करता है. यह हवाई खतरों को सटीकता के साथ लक्षित करने और बेअसर करने के लिए वास्तविक समय की उपग्रह इमेजरी, NAVIC नेविगेशन और स्वायत्त ड्रोन का उपयोग करता है-जो इसे भारत के सैन्य अभियानों में एक बल गुणक बनाता है.
आकाश डिफेंस सिस्टम के उद्भव के साथ, ऑपरेशन सिंदूर में भारत की प्रतिक्रिया केवल आक्रामकता की प्रतिक्रिया नहीं थी-यह भारत की तकनीकी बढ़त का प्रदर्शन था, जो अपने विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश भेज रहा था: भारत की सैन्य क्षमताएं न केवल दुर्जेय हैं, बल्कि भविष्य की भी हैं.
मनोवैज्ञानिक और सामरिक वर्चस्व
इस भारतीय सैन्य प्रतिक्रिया को ऐतिहासिक बनाने वाला इसका दोहरा उद्देश्य था: पाकिस्तान की भौतिक क्षमताओं को नष्ट करना और उसके नेतृत्व को मनोवैज्ञानिक रूप से निरस्त्र करना. नूर खान एयरबेस पर हमला करके, भारत ने इस्लामाबाद के केंद्र के करीब जाकर हमला किया, जिससे पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक अभिजात वर्ग का आत्मविश्वास डगमगा गया. स्कार्दू पर बमबारी करके, भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में उच्च ऊंचाई वाले निगरानी अंतराल बनाए. और चुनियन के रडार बुनियादी ढांचे को निष्क्रिय करके, भारत ने प्रभावी रूप से पाकिस्तान को उसके अपने आसमान में अंधा कर दिया.
यह कोई साधारण हवाई हमला नहीं था-यह भारतीय वायु सेना, खुफिया एजेंसियों और रणनीतिक योजनाकारों के बीच बेजोड़ समन्वय का प्रदर्शन था. हर लक्ष्य पर हमले के रणनीतिक परिणाम थे, न कि केवल प्रतीकात्मक.
धोखा दिया गया, सिद्धांत बदल दिया गया
पाकिस्तान के परमाणु निरोध के लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांत-जिसे अक्सर भारतीय जवाबी कार्रवाई को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. भारत के हमलों ने पाकिस्तान की धमकियों के खोखलेपन को उजागर कर दिया. जैसे-जैसे एक के बाद एक बेस जलते गए, इस्लामाबाद की तथाकथित लाल रेखाएँ फीकी पड़ गईं.
बढ़ते नुकसान और अपनी सैन्य कमान के भीतर पूरी तरह से संचार व्यवस्था के टूट जाने के बाद, पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत से संपर्क किया और युद्ध विराम का अनुरोध किया. बंद दरवाजों के पीछे, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हमले को रोकने के लिए मध्यस्थता में अमेरिका, सऊदी अरब और चीन को शामिल करने की कोशिश की. लेकिन भारत ने अभी भी अपना काम पूरा नहीं किया था.
भारत ने किसी भी बैक-चैनल कूटनीति में शामिल होने से इनकार कर दिया, प्रोटोकॉल के भीतर दृढ़ता से रहा और अपने सशस्त्र बलों को आगे की वृद्धि के लिए तैयार रखा, जिसमें पाकिस्तान के ऊर्जा और आर्थिक लक्ष्यों पर हमले शामिल हो सकते थे. यदि आवश्यक हो, तो वह चरण तैयार था.
एक नया क्षेत्रीय सिद्धांत
ऑपरेशन सिंदूर का सार केवल सैन्य नहीं था-यह सैद्धांतिक था. पुराने नियम अब लागू नहीं होते. भारत ने एक नई मिसाल कायम की है:
आतंकवादी हमलों में जवाबी कार्रवाई होगी
पारंपरिक श्रेष्ठता के आधार पर निवारण तय किया जाएगा, न कि खोखली मुद्रा के आधार पर.
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी, चाहे युद्ध विराम हो या न हो. 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में लिए गए फैसलों को वापस नहीं लिया जाएगा.
शक्ति संतुलन में बदलाव
पाकिस्तान को अपमानित होना पड़ा, उसकी रणनीतिक गहराई उजागर हुई और जिहादी समूहों पर उसकी निर्भरता उजागर हुई. पूरी तरह से विनाश का जोखिम उठाने के बजाय युद्ध विराम की भीख मांगने का फैसला समझदारी से नहीं बल्कि हताशा से लिया गया था.
जब तक पाकिस्तान ने अमेरिका और फिर भारत से बात की, तब तक दुनिया को संदेश मिल चुका था: भारत अब दक्षिण एशिया में गति, कथानक और परिणामों को नियंत्रित करता है. गलत अनुमान की कीमत अब भयावह है.
ऑपरेशन सिंदूर अभी भी प्रभावी है. भारतीय अधिकारियों ने सभी संबंधित देशों को निजी तौर पर बता दिया है कि "अगर पाकिस्तान गोली चलाता है, तो हम भी गोली चलाते हैं" - यह नई सामान्य बात है. भारत ने न केवल जवाब दिया है - बल्कि उसने संलग्नता के नियमों को फिर से परिभाषित किया है.


