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पद्मश्री से सम्मानित बाबा शिवानंद का 128 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख

पद्मश्री बाबा शिवानंद, जिन्होंने 128 वर्ष की आयु तक योग, संयम और सेवा को समर्पित जीवन जिया, उनका वाराणसी में निधन हो गया. प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी ने उन्हें पीढ़ियों की प्रेरणा बताते हुए श्रद्धांजलि दी.

वाराणसी में योग और संयम की मिसाल रहे पद्मश्री बाबा शिवानंद का शनिवार रात निधन हो गया. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते उन्हें 30 अप्रैल को बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली. अनुयायियों के अनुसार, बाबा शिवानंद 128 वर्ष के थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन योग, सादगी और सेवा को समर्पित कर दिया.

उनका पार्थिव शरीर वाराणसी के कबीरनगर कॉलोनी स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है, जहां भक्तों की भारी भीड़ श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है. बाबा के शिष्यों ने जानकारी दी है कि उनका अंतिम संस्कार शनिवार देर शाम किया जाएगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि योगी और साधना में लीन बाबा शिवानंद जी के निधन से अत्यंत दुःख हुआ. उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा. योग के माध्यम से समाज सेवा हेतु उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था. बाबा शिवानंद जी का शिवलोक गमन हम सभी काशीवासियों और उनके असंख्य श्रद्धालुओं के लिए अपूर्णीय क्षति है. इस दुख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दी श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बाबा शिवानंद के निधन पर गहरा शोक जताया. उन्होंने एक्स पर लिखा:- काशी के प्रसिद्ध योग गुरु ‘पद्मश्री’ स्वामी शिवानंद जी का निधन अत्यंत दुःखद है. योग के क्षेत्र में उनका योगदान अनुपम था. उनके तप, साधना और योगमय जीवन ने समाज को नई दिशा दी. बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा उनके अनुयायियों को ये अपार दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!

बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को तत्कालीन पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के सिलहट जिले में हुआ था. महज 6 साल की उम्र में उन्होंने माता-पिता को भुखमरी के चलते खो दिया. इसके बाद वे जीवनभर संयम, योग और सेवा में लीन रहे. उनका लालन-पालन ओंकारानंद नामक संत ने किया, जिन्होंने उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा और योग की दीक्षा दी. बाबा शिवानंद का जीवन पूरी तरह संयमित रहा- वो प्रतिदिन सुबह 3 बजे उठते, खुद सारा काम करते और सिर्फ आधा पेट उबला हुआ भोजन करते थे. उन्होंने कभी बिस्तर पर नहीं सोया, हमेशा चटाई पर ही विश्राम किया.

2022 में मिला था पद्मश्री सम्मान

योग के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2022 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा था. उनका मानना था कि योग, संयम और सेवा ही दीर्घायु जीवन का मूल मंत्र हैं. उनके अनुयायियों का दावा है कि उनकी लंबी उम्र का रहस्य भी उनका संयमित दिनचर्या और सात्विक आहार था.

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04 May 2025, 02:10 PM IST

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