5000 आतंकियों का खात्मा करने वाला... भारत के ‘शिकारी’ प्रीडेटर ड्रोन से कांपा पाकिस्तान, अब आसमान से बरसेगा कहर!

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने ड्रोन युद्ध में बढ़त लेते हुए MQ-9B प्रीडेटर जैसे खतरनाक ड्रोनों की तैनाती शुरू की, जिससे पाकिस्तान में खौफ का माहौल है और युद्ध की तस्वीर बदलती दिख रही है.

भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, जिसके बाद से ही पूरे पाकिस्तान में खौफ का माहौल है. सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस बार जंग की तस्वीर बदल चुकी है, क्योंकि पहली बार इतने बड़े स्तर पर ड्रोन युद्ध देखने को मिल रहा है.

भारत ने अपने अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम जैसे S-400 और 'आकाश' मिसाइल प्रणाली को पूरी तरह एक्टिव कर दिया है. भारत अब ना सिर्फ वर्तमान में मौजूद इजरायली और स्वदेशी ड्रोनों पर निर्भर है, बल्कि अमेरिकी MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की तैनाती की दिशा में भी तेजी से बढ़ रहा है. ये ड्रोन्स वायुसेना, नौसेना और थलसेना का हिस्सा बनेंगे और आने वाले समय में दुश्मनों के लिए काल साबित हो सकते हैं.

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन्स: भारत का नया ‘शिकारी’

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन अमेरिकी कंपनी GA-ASI द्वारा बनाया गया है. ये हाई एल्टीट्यूड, लॉन्ग एंड्योरेंस UAV है, जो 50,000 फीट की ऊंचाई पर 40 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है. ये ड्रोन 4 हेलफायर मिसाइल और करीब 450 किलो वजन तक के बम लेकर दुश्मन पर अचूक निशाना साध सकता है.

इस ड्रोन के 2 वर्जन हैं- स्काई गार्जियन और सी गार्जियन. भारत को इनमें से 15 सी गार्जियन नौसेना के लिए और 8-8 स्काई गार्जियन थल और वायुसेना के लिए मिलेंगे. इस डील की पुष्टि अक्टूबर में हो चुकी है और रोडमैप पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच तैयार हो गया था.

ड्रोन युद्ध में भारत की ताकत

एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत के पास अगले 2 से 4 सालों में करीब 5000 सैन्य ड्रोन होंगे. वर्तमान में भारतीय सेना के पास हेरोन मार्क-I, मार्क-II, सर्चर-II जैसे इजरायली MALE ड्रोन्स की एक बड़ी संख्या है, जो निगरानी और लक्ष्य निर्धारण में सहायक हैं. इसके अलावा, भारत ने 10,000 करोड़ की लागत से 97 स्वदेशी ड्रोन भी खरीदे हैं, जिनका इस्तेमाल सीमा पर निगरानी के लिए किया जा रहा है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बना भारतीय सेना का नया हथियार

2019 में हरियाणा के हिसार में आयोजित ‘सप्त शक्ति’ सेमिनार में ऐलान किया गया था कि भारतीय सेना तीन सालों में AI तकनीक को पूरी तरह से आत्मसात कर लेगी. आज भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और नियंत्रण रेखा (LOC) पर AI आधारित ड्रोन, रोबोटिक डॉग्स और निगरानी विमानों का इस्तेमाल कर रही है. AI की मदद से डेटा विश्लेषण, समस्या की मॉडलिंग और तेज निर्णय क्षमता ने सेना को पहले से ज्यादा स्मार्ट और सटीक बना दिया है. अब मानव रहित टैंक, रोबोटिक हथियार और ड्रोन युद्ध क्षेत्र में आम होते जा रहे हैं.

कैसे बदलता है MQ-9B युद्ध की तस्वीर

MQ-9B ड्रोन का इतिहास बेहद प्रभावशाली है. अमेरिकी सेना ने इसे अफगानिस्तान में ‘ऑपरेशन एनाकोंडा’ के दौरान इस्तेमाल किया था, जहां इसने बंकरों में छिपे तालिबानी आतंकियों को खत्म किया. अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने 2004 से 2018 तक इसी ड्रोन की मदद से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में 5,059 आतंकियों को मार गिराया. ये ड्रोन इतना सटीक है कि जंगल में छिपे दुश्मनों को भी मार गिराने की क्षमता रखता है. 2020 में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत भी इसी MQ-9 ड्रोन के मिसाइल हमले से हुई थी. इसी प्रकार ISIS प्रमुख अबु बकर अल बगदादी और अलकायदा कमांडर भी इसका शिकार बन चुके हैं.

calender
09 May 2025, 05:48 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag