Parliament Winter Session: पीएम मोदी ने सभापति का किया स्वागत, कहा- जब पहली बार काशी गए तो आपको अपने अंदर...
संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए लोकतंत्र में उनके योगदान को सराहा. सत्र में विपक्ष विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर बहस करेगा. सरकार 14 महत्वपूर्ण बिल पास कराने पर ध्यान देगी.

नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है और इसकी अवधि 19 दिसंबर तक रहेगी. आज एक दिसंबर को इस सत्र का पहला दिन है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. हालांकि सरकार और विपक्ष के बीच कुछ संवेदनशील मुद्दों को लेकर गतिरोध के संकेत भी मिल रहे हैं. विशेष रूप से, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर विपक्ष हंगामा करने की योजना बना सकता है. इसके बावजूद शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले सरकार ने सभी दलों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में सभी पक्षों ने आश्वासन दिया कि सत्र को शांतिपूर्ण और सुचारु तरीके से संचालित किया जाएगा.
PM मोदी ने राज्यसभा के सभापति का किया स्वागत
जीवन में पहली बार मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया
प्रधानमंत्री ने राधाकृष्णन के जीवन के एक व्यक्तिगत अनुभव का भी उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि हाल ही में जब राधाकृष्णन काशी गए, तो उन्होंने जीवन में पहली बार मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया. उसी दिन उन्होंने यह निश्चय किया कि वे नॉन-वेज नहीं खाएंगे. पीएम मोदी ने कहा कि यह अनुभव दर्शाता है कि सार्वजनिक जीवन में सरलता, अनुशासन और नैतिकता कितनी महत्वपूर्ण है. ऐसे उदाहरण नए सांसदों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं.
सत्र के दौरान 14 महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पेश
सत्र के दौरान सरकार 14 महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पेश करने की योजना बना रही है. इसके अलावा विपक्ष एसआईआर, राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रदूषण और अन्य सामाजिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाने का प्रयास करेगा. शीतकालीन सत्र में दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखना और लोकतंत्र की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती होगी. इस सत्र का असर नीति निर्माण, आर्थिक सुधार और देश की आंतरिक स्थिरता पर भी पड़ सकता है.
विकास, सुधार और लोकतांत्रिक बहस का महत्वपूर्ण अवसर
इस प्रकार, संसद का यह शीतकालीन सत्र विकास, सुधार और लोकतांत्रिक बहस का महत्वपूर्ण अवसर है. जहां सरकार विधायी कार्यवाही और नीतिगत सुधार पर ध्यान केंद्रित करेगी, वहीं विपक्ष संवेदनशील मुद्दों पर बहस और जवाबदेही तय करेगा. इसके साथ ही, नए सांसदों के लिए अनुभव और नेतृत्व सीखने का अवसर भी मिलेगा. इस सत्र का सफल संचालन देश की लोकतांत्रिक परंपरा और नीति निर्माण प्रक्रिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.


