PM Modi Japan visit : जापान पहुंचे PM मोदी, 15वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में होंगे शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर जापान पहुंचे हैं. वे 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जापान आए है. इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करना है. खास ध्यान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर तकनीक और निवेश पर रहेगा, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम मिलेगा.

PM Modi Japan visit : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जापान यात्रा पर पहुंच चुके हैं. यह यात्रा जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर हो रही है. इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जापान में आयोजित होने वाले 15वें वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi arrives in Tokyo, Japan. He is on a two-day visit to Japan at the invitation of Japanese PM Shigeru Ishiba to participate in the 15th India-Japan Annual Summit.
(Source: DD News) pic.twitter.com/GF1JvX9mJf— ANI (@ANI) August 29, 2025
आपको बता दें कि PM मोदी गुरुवार रात एक अहम आधिकारिक दौरे के लिए जापान के टोक्यो के लिए रवाना हुए थे. यह यात्रा दो दिन की होगी, जो 29 अगस्त से 30 अगस्त तक चलेगी. यह दौरा भारत और जापान के बीच मजबूत होते संबंधों का प्रतीक माना जा रहा है. प्रधानमंत्री की यह यात्रा कई अहम मुद्दों को लेकर हो रही है, जिसमें व्यापार, निवेश, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे विषय प्रमुख हैं.
सम्मेलन में होगी उच्चस्तरीय बातचीत
इस यात्रा का सबसे बड़ा उद्देश्य 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेना है. इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से मुलाकात करेंगे. दोनों देशों के नेताओं के बीच यह बैठक कई अहम विषयों पर केंद्रित होगी, जैसे कि आर्थिक सहयोग, रणनीतिक साझेदारी, और वैश्विक मंचों पर एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की योजनाएं.
व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग...
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का फोकस भारत और जापान के बीच व्यापार और निवेश को नई दिशा देने पर होगा. दोनों देश इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे जापान की कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा सकती हैं, जिससे न केवल आर्थिक रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि भारत में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. इसके अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खासतौर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सेमीकंडक्टर तकनीक जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को आगे बढ़ाया जाएगा. इससे भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में मदद मिलेगी.
जापानी उद्योगपतियों और नेताओं से भी करेंगे मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी अपने टोक्यो प्रवास के दौरान जापान के उद्योगपतियों और राजनैतिक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. यह बैठकें भारत की आर्थिक नीतियों, 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियानों और जापानी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में अहम साबित होंगी. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि जापान की कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करेंगी.
अमेरिका से तनाव के बीच जापान यात्रा की अहमियत
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव देखा गया है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से होने वाले कुछ आयातों पर भारी शुल्क लगा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में गिरावट आई है. ऐसे माहौल में जापान जैसे पुराने सहयोगी के साथ रिश्तों को और मज़बूत करना भारत की विदेश नीति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
जापान के बाद चीन की यात्रा पर होंगे रवाना
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल जापान तक सीमित नहीं है. जापान दौरे के बाद वे सीधे चीन जाएंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 25वीं बैठक में भाग लेंगे. यह बैठक क्षेत्रीय सहयोग, सुरक्षा और विकास जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए होती है, और इसमें भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
प्रधानमंत्री मोदी का यात्रा से पहले संदेश
जापान रवाना होने से कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक संदेश साझा किया. उन्होंने लिखा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि जापान और चीन की यह यात्रा भारत के राष्ट्रीय हितों, प्राथमिकताओं और वैश्विक रणनीतियों को मजबूती देने में मददगार साबित होगी. साथ ही यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा और सतत विकास के लिए सहयोग की दिशा में एक अहम कदम होगी.
प्रधानमंत्री मोदी की यह दो दिवसीय जापान यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह दौरा न केवल भारत-जापान संबंधों को और मजबूती देगा, बल्कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की रणनीतिक स्थिति को भी और सुदृढ़ करेगा. व्यापार, रक्षा, तकनीक और वैश्विक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में यह यात्रा कई नए अवसरों के द्वार खोल सकती है.


