SCO समिट में हिस्सा लेने तियानजिन का दौरा कर सकते हैं पीएम मोदी, 7 साल बाद होगी चीन की यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं, जो गलवान संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा होगी. यह बैठक भारत-चीन तनाव में सुधार की संभावना के बीच हो रही है.

SCO Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन शहर में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यात्रा कर सकते हैं. यह सम्मेलन SCO की 25वीं राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक होगी. यदि यह दौरा होता है तो यह प्रधानमंत्री मोदी की 2020 के गलवान संघर्ष के बाद पहली चीन यात्रा और कुल मिलाकर छठी बीजिंग यात्रा होगी.
यह यात्रा ऐसे समय पर प्रस्तावित है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने और पारस्परिक विश्वास बहाल करने की कोशिशें जारी हैं. मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई थी. इस बार की बैठक से दोनों देशों के बीच संवाद बहाली की संभावना जताई जा रही है.
क्या है SCO?
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक प्रमुख बहुपक्षीय मंच है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं. इसकी शुरुआत 1996 में शंघाई फाइव समूह के रूप में हुई थी और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना है.
जापान के बाद चीन की यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की संभावित चीन यात्रा से पहले 30 अगस्त को जापान की राजधानी टोक्यो में भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. वहां वे जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे. टोक्यो यात्रा के तुरंत बाद वे तियानजिन के लिए रवाना हो सकते हैं.
वैश्विक तनावों के बीच एक अहम पहल
मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक माहौल अस्थिरता से भरा हुआ है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर रूस से तेल खरीदकर डॉलर की सर्वोच्चता को कमजोर करने का आरोप लगाया है. इस बयान ने वैश्विक मंचों पर और तनाव पैदा कर दिया है, जिससे SCO और BRICS जैसे संगठनों की एकता पर असर पड़ा है.
एससीओ पर भारत की चिंता
भारत के लिए SCO मंच पर अपनी स्थिति स्पष्ट रखना चुनौतीपूर्ण रहा है. जून 2025 में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क़िंगदाओ में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था, लेकिन उन्होंने आतंकवाद संबंधी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. कारण था- प्रस्ताव में भारत के कड़े रुख को कमजोर करना और पहलगाम हमले जैसे गंभीर घटनाक्रमों की अनदेखी.
विवादास्पद दस्तावेज
भारत के विरोध के चलते संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया. सूत्रों के अनुसार, चीन और पाकिस्तान द्वारा तैयार किए गए मसौदे में बलूचिस्तान का उल्लेख था, जिसे भारत ने नई दिल्ली के खिलाफ एक छिपा हुआ हमला माना. इस प्रकरण ने यह स्पष्ट किया कि भारत क्षेत्रीय मंचों पर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा.


