'केवल मृत्यु निश्चित है, लेकिन कल्पना असीम'; मौत, ईश्वर और AI पर PM मोदी की लेक्स फ्रिडमैन संग अनूठी बातचीत
PM Modi-Lex Fridman Podcast: पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर और एआई वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक अनूठी बातचीत में मृत्यु, ईश्वर और AI पर अपने विचार शेयर किए. इस चर्चा में उन्होंने जीवन के गहरे पहलुओं, मानवता के भविष्य और तकनीक की भूमिका पर अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की.

PM Modi-Lex Fridman Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर और एआई वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक विशेष बातचीत में मृत्यु, ईश्वर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर अपने विचार साझा किए. इस चर्चा के दौरान, उन्होंने जीवन के गूढ़ पहलुओं, मानवता की दिशा और तकनीक के भविष्य को लेकर अपनी स्पष्ट सोच व्यक्त की.
इस दौरान पीएम मोदी ने मृत्यु को लेकर अपने दार्शनिक दृष्टिकोण, ईश्वर के प्रति अपनी आस्था और एआई के प्रभाव पर विचार रखते हुए बताया कि मानव कल्पना की शक्ति हमेशा कृत्रिम बुद्धिमत्ता से आगे रहेगी. आइए जानते हैं इस चर्चा की प्रमुख बातें.
Here's my conversation with @narendramodi, Prime Minister of India.
It was one of the most moving & powerful conversations and experiences of my life.
This episode is fully dubbed into multiple languages including English and Hindi. It's also available in the original (mix of… pic.twitter.com/85yUykwae4— Lex Fridman (@lexfridman) March 16, 2025
'मृत्यु अटल है, तो उससे डर कैसा?'
जीवन और मृत्यु पर विचार रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मृत्यु अपरिहार्य है, इसलिए इसके डर में जीने के बजाय हमें एक सार्थक जीवन जीने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें यह निश्चित रूप से पता है कि जीवन स्वयं मृत्यु का एक मौन वचन है, फिर भी जीवन खिलता रहता है. जीवन और मृत्यु के इस नृत्य में केवल मृत्यु निश्चित है, तो फिर जो निश्चित है, उससे भय कैसा?"
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी ऊर्जा को सीखने, विकसित होने और दुनिया में योगदान देने में लगाएं, न कि मृत्यु की चिंता में व्यर्थ करें. "आपको मृत्यु के भय को छोड़ देना चाहिए. आखिरकार, यह तो निश्चित ही है. महत्वपूर्ण यह है कि हम अपना जीवन कैसे जीते हैं."
'मैं कभी अकेला नहीं, ईश्वर सदा मेरे साथ'
क्या प्रधानमंत्री कभी अकेलापन महसूस करते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे कभी अकेला महसूस नहीं करते, क्योंकि ईश्वर हमेशा उनके साथ होते हैं. उन्होंने कहा कि "मैं 'वन प्लस वन' सिद्धांत में विश्वास करता हूं -एक मोदी, दूसरा ईश्वर...जनसेवा ही प्रभुसेवा है. मैं कभी वास्तव में अकेला नहीं होता, क्योंकि ईश्वर सदा मेरे साथ होते हैं."
स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी का उल्लेख
उन्होंने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के अपने जीवन पर प्रभाव का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे बाल्यकाल में उन्होंने गांव की एक लाइब्रेरी में स्वामी विवेकानंद के बारे में पढ़ा और सीखा कि सच्ची संतुष्टि दूसरों की निस्वार्थ सेवा में निहित है.
गायत्री मंत्र का किया जाप
प्रधानमंत्री मोदी ने रामकृष्ण परमहंस आश्रम के स्वामी आत्मस्थानंद से अपने गहरे संबंधों की भी चर्चा की, जिन्होंने उन्हें सार्वजनिक सेवा को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया. इस दौरान उन्होंने गायत्री मंत्र का जाप भी किया और इसकी आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्ता को समझाया. "प्रत्येक मंत्र मात्र शब्दों का समूह नहीं होता, बल्कि यह ब्रह्मांडीय संतुलन और जीवन से जुड़ाव का प्रतीक होता है," उन्होंने कहा.
'एआई कभी भी मानव कल्पना की गहराई को नहीं छू सकता'
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के भविष्य पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एआई एक सशक्त उपकरण है, लेकिन यह हमेशा मानव मस्तिष्क और आत्मा द्वारा संचालित रहेगा. "तकनीक हमेशा आगे बढ़ती रही है, लेकिन मनुष्य हमेशा उससे एक कदम आगे रहा है," उन्होंने कहा. "मानव कल्पना ही ईंधन है. एआई इस पर आधारित चमत्कार रच सकता है, लेकिन यह मानव मस्तिष्क की असीम रचनात्मकता से मेल नहीं खा सकता."
उन्होंने कहा कि एआई समाज को यह पुनर्विचार करने पर मजबूर कर रहा है कि वास्तव में 'मनुष्य' होने का क्या अर्थ है. "यही एआई की असली शक्ति है -यह हमें हमारे काम और मानवता की परिभाषा पर दोबारा सोचने को मजबूर करता है. लेकिन करुणा, देखभाल और मानवीय भावनाओं को मशीनें कभी भी नहीं दोहरा सकतीं."
'भारत के बिना वैश्विक एआई अधूरा रहेगा'
प्रधानमंत्री मोदी ने एआई विकास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि चाहे दुनिया में एआई को लेकर कुछ भी किया जाए, यह भारत के बिना अधूरा रहेगा. उन्होंने कहा कि "मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं." उन्होंने भारत की तेज 5G रोलआउट क्षमता का उदाहरण देते हुए कहा कि देश अब तकनीकी प्रगति में पीछे नहीं, बल्कि अग्रणी भूमिका निभा रहा है. "भारत सिर्फ सैद्धांतिक एआई मॉडल नहीं बना रहा -हम सभी वर्गों के लिए वास्तविक, व्यावहारिक समाधान विकसित कर रहे हैं." प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विशाल प्रतिभा संपदा को इसकी सबसे बड़ी शक्ति बताते हुए कहा, "सच्ची बुद्धिमत्ता हमारे युवाओं में है. वही असली प्रगति की ताकत है."


