PM मोदी का ऐतिहासिक दौरा शुरू, 8 दिन में 5 देशों की करेंगे यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 से 9 जुलाई, 2025 तक की अपनी पांच देशों की यात्रा पर रवाना हो गए हैं. घाना, अर्जेंटीना, त्रिनिडाड और टोबैगो, ब्राजील और नामीबिया की यह यात्रा भारत की विदेश नीति को नई दिशा देने की पहल मानी जा रही है.

PM Modi Five-Nation Tour: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2 से 9 जुलाई, 2025 तक की पांच देशों की विदेश यात्रा भारत की ग्लोबल साउथ नीति को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 जुलाई को इस ऐतिहासिक दौरे पर रवाना हो गए हैं. यह दौरा केवल कूटनीतिक औपचारिकताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि विश्वभर में फैले भारतीय समुदाय के साथ भावनात्मक और रणनीतिक जुड़ाव को भी मजबूत करेगा. पश्चिम अफ्रीका से लेकर लैटिन अमेरिका और कैरिबियन द्वीपों तक, पीएम मोदी का यह दौरा साझी लोकतांत्रिक मान्यताओं, आर्थिक सहयोग और ऐतिहासिक संबंधों को और गहरा करने की कोशिश है.
इस दौरे के माध्यम से पीएम मोदी विदेशों में बसे भारतीयों के साथ संवाद करेंगे, उनकी भूमिका को सराहेंगे और विभिन्न देशों के साथ व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में नए समझौते करेंगे. दौरे के दौरान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी और भारत-अफ्रीका सहयोग को लेकर भी महत्वपूर्ण घोषणाएं संभव हैं.
घाना में 30 वर्षों बाद भारतीय प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक यात्रा
पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत घाना से होगी, जहां किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा तीन दशकों बाद हो रही है. घाना की संसद को संबोधित करने के साथ-साथ वे 15,000 से अधिक भारतीय समुदाय के लोगों से संवाद करेंगे.
राष्ट्रपति जॉन ड्रमानी महामा के साथ कृषि, वैक्सीन, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर बातचीत होगी. वर्तमान में भारत-घाना का व्यापार $3 बिलियन और निवेश $2 बिलियन के स्तर पर है, जिसे इस दौरे में एमओयू के माध्यम से और सुदृढ़ किया जाएगा.
त्रिनिडाड और टोबैगो में सांस्कृतिक जुड़ाव और विकास सहयोग
त्रिनिडाड और टोबैगो में पीएम मोदी की यात्रा खास सांस्कृतिक महत्व रखती है क्योंकि इस वर्ष भारतीय आगमन की 180वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. देश की लगभग आधी जनसंख्या भारतीय मूल की है और यहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों की जड़ें भारत से जुड़ी हैं.
1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है जिसमें वे संसद को संबोधित करेंगे, प्रवासी भारतीयों के बड़े सम्मेलन में भाग लेंगे और अक्षय ऊर्जा, कृषि और डिजिटल सेवाओं में सहयोग को विस्तार देंगे. यह यात्रा विशेष रूप से Small Island Developing States (SIDS) के साथ भारत के विकास सहयोग को नया आयाम देगी.
अर्जेंटीना में ऊर्जा और खनिज क्षेत्र में नई साझेदारी
अर्जेंटीना की यात्रा 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है, जो आर्थिक सुधारों के दौर से गुजर रहे इस देश में नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी. राष्ट्रपति जेवियर मिलेई से मुलाकात में लिथियम, कॉपर, शेल ऑयल और गैस जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा होगी.
कैटामार्का में पहले से मौजूद भारतीय खनन परियोजनाओं के अलावा अंतरिक्ष तकनीक, रक्षा उत्पादन और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य है.
ब्राजील में BRICS शिखर सम्मेलन में भागीदारी
पीएम मोदी ब्राजील के रियो डी जनेरियो में 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसका मुख्य विषय है समावेशी वैश्विक शासन. वे ऐसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने ब्राजील में चार बार ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लिया है. इस बार चर्चा के केंद्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाइमेट फाइनेंस और वैश्विक संस्थाओं में सुधार होंगे.
ब्रासीलिया में राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय बैठक में रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और भारत-MERCOSUR व्यापार समझौते के विस्तार पर जोर रहेगा. ब्राज़ील के साथ $12.2 बिलियन के व्यापार के साथ यह भारत का सबसे बड़ा लैटिन अमेरिकी साझेदार है.
दौरे का अंतिम पड़ाव नामीबिया
नामीबिया दौरे का अंतिम पड़ाव होगा, जहां किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा 27 वर्षों बाद हो रही है. नामीबिया की स्वतंत्रता संग्राम में भारत की भूमिका और हाल ही में नामीबिया से भारत लाए गए चीतों की परियोजना, इस यात्रा का प्रतीकात्मक पक्ष है.
पीएम मोदी नामीबियाई संसद को संबोधित करेंगे और राष्ट्रपति नेतुम्बो नांदी-नदैतवाह से मुलाकात करेंगे. फार्मास्यूटिकल, डिजिटल पेमेंट (UPI), क्रिटिकल मिनरल्स और हाइड्रोकार्बन जैसे क्षेत्रों में नए सहयोग की घोषणा संभव है. यह यात्रा आगामी भारत-अफ्रीका फोरम समिट से पहले द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी.
प्रवासी भारतीयों से संवाद
इस पूरे दौरे में पीएम मोदी प्रवासी भारतीय समुदाय से व्यापक संवाद करेंगे और वैश्विक मंचों पर भारत की पहचान को और मजबूत करने की दिशा में कार्य करेंगे. यह यात्रा भारत की रणनीतिक उपस्थिति को वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनाती है तथा एक समानता-आधारित विश्व व्यवस्था के निर्माण में भारत की भूमिका को स्थापित करती है.
2026 में भारत की BRICS अध्यक्षता से पहले यह दौरा भारत की दक्षिण-दक्षिण सहयोग नीति को मजबूती देगा और विकासशील देशों की आवाज को नई ऊंचाई प्रदान करेगा.


