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पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से किया इनकार...देहरादून में मारे गए छात्र अंजेल चकमा के पिता ने सुनाया दर्द

देहरादून में हुए हमले में त्रिपुरा के छात्र अंजेल चकमा की मौत के बाद परिवार ने पुलिस पर एफआईआर में देरी का आरोप लगाया. मामले ने छात्र सुरक्षा और पूर्वोत्तर युवाओं के खिलाफ हिंसा पर गंभीर सवाल खड़े किए.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः देहरादून में हुए एक दिल दहला देने वाले हमले में त्रिपुरा के छात्र अंजेल चकमा की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस मामले में अब पीड़ित परिवार के गंभीर आरोप सामने आए हैं. अंजेल के पिता तरुण प्रसाद चकमा, जो सीमा सुरक्षा बल (BSF) में कार्यरत हैं, ने कहा है कि घटना के बाद पुलिस ने शुरू में इसे मामूली मामला बताकर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था. परिवार के दबाव और हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू की, जिससे उनके दुख और पीड़ा में और इजाफा हुआ.

एफआईआर में देरी से बढ़ा परिवार का दर्द

उत्तरी त्रिपुरा स्थित अपने आवास से मीडिया से बात करते हुए तरुण प्रसाद चकमा ने बताया कि जब उनका बेटा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा था, तब परिवार पुलिस कार्रवाई के लिए भटकता रहा. उन्होंने कहा कि अंजेल के भाई एफआईआर दर्ज करवाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने पहले इसे गंभीर मामला मानने से इनकार कर दिया.उन्होंने कहा कि जब हम खुद वहां पहुंचे, तब जाकर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की.

फोन कॉल जिसने सब कुछ बदल दिया

तरुण चकमा ने उस भयावह रात को याद करते हुए बताया कि उन्हें देर रात अपने छोटे बेटे का फोन आया. उसने रोते हुए देहरादून में अंजेल पर हुए हमले की जानकारी दी. पिता ने तुरंत छुट्टी ली और उत्तराखंड रवाना हो गए. अस्पताल पहुंचने पर जो दृश्य उन्होंने देखा, वह उनके लिए असहनीय था. उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मेरे बेटे की पीठ में दो बार चाकू मारा गया था. उसका बायां हाथ और पैर लकवाग्रस्त हो चुके थे. सिर से लगातार खून बह रहा था.

इलाज के बाद भी नहीं बच सकी जान

देहरादून में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अंजेल चकमा की हालत कई दिनों तक गंभीर बनी रही. तमाम प्रयासों के बावजूद आखिरकार उसने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद त्रिपुरा समेत कई राज्यों में छात्र संगठनों और सामाजिक समूहों ने विरोध प्रदर्शन किए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

सीसीटीवी फुटेज से सामने आया हमला

पिता के अनुसार, बाद में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिसमें तीन युवक मोटरसाइकिल पर आते दिखाई देते हैं. उन्होंने पहले अंजेल के छोटे भाई से बहस की और फिर उस पर हमला कर दिया. जब अंजेल बीच-बचाव के लिए आगे आया, तो आरोपियों ने उसकी पीठ में चाकू घोंप दिया. तरुण चकमा ने आरोप लगाया कि अंजेल के जमीन पर गिरने के बाद भी हमलावरों ने उसे लात-घूंसों से पीटा और उसकी गर्दन पर भी वार किया.

मुख्यमंत्री ने दिया न्याय का भरोसा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को बेहद दर्दनाक बताते हुए पीड़ित परिवार को न्याय का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि छह आरोपियों में से पांच को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है और शेष के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है. मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि उत्तराखंड में पूर्वोत्तर के छात्रों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है.

मैं नहीं चाहता, ऐसा किसी और के साथ हो

अंजेल के पिता ने कहा कि उनकी लड़ाई केवल अपने बेटे के लिए नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए भी है. उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि किसी और माता-पिता को ऐसा दर्द सहना पड़े. यह मामला एक बार फिर पूर्वोत्तर के छात्रों के साथ होने वाले कथित नस्लीय भेदभाव और हिंसा पर गंभीर सवाल खड़े करता है. परिवार की मांग है कि मामले में कोई ढिलाई न बरती जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले.

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