मैं धर्मनिरेपेक्ष हूं...हिंदुत्व के रंग में रंगी CM ममता, महाकाल मंदिर की आधारशिला रखने का किया ऐलान
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अगले महीने महाकाल मंदिर की आधारशिला रखने की घोषणा की है. उन्होंने तुष्टिकरण के आरोपों को खारिज करते हुए खुद को सही मायनों में सेक्युलर बताया. ममता ने SIR प्रक्रिया पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा और लोगों के हक की रक्षा का संकल्प जताया.

बंगाल : पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीतिक तौर पर सक्रिय नजर आ रही हैं. उन्होंने सोमवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें जनवरी के दूसरे सप्ताह में राज्य के सबसे बड़े महाकाल मंदिर की आधारशिला रखने की बात कही गई. यह घोषणा उन्होंने कोलकाता के न्यू टाउन में देवी दुर्गा को समर्पित 'दुर्गा आंगन' परिसर के शिलान्यास समारोह में की.
महाकाल मंदिर शिलान्यास
तुष्टिकरण के आरोपों का खंडन
इस दौरान मुख्यमंत्री ने विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे तुष्टिकरण के आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा कि वह सही मायनों में सेक्युलर हैं और सभी धर्मों के कार्यक्रमों में बिना किसी भेदभाव के हिस्सा लेती हैं. ममता ने कहा, ‘‘लोग मुझ पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं, लेकिन यह सही नहीं है. मैं सही मायने में सेक्युलर हूं. जब मैं गुरुद्वारे जाती हूं तो कोई कुछ नहीं कहता, लेकिन जब मैं ईद के कार्यक्रम में जाती हूं तो आलोचना शुरू हो जाती है.’’
SIR प्रक्रिया पर हमला
इसके साथ ही ममता ने केंद्र सरकार द्वारा लागू SIR (special intensive revision) प्रक्रिया पर भी निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया के दौरान लोगों को बेवजह परेशान किया जा रहा है और एक महीने में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. ममता ने कहा कि वे लोगों के हक और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष करेंगी और इसके लिए अपनी जान देने को भी तैयार हैं.
राजनीतिक संदेश को और मजबूत कर रही ममता
इस पूरी पहल से स्पष्ट होता है कि ममता बनर्जी चुनावी रणनीति के तहत हिंदुत्व और सेक्युलर दोनों ही छवियों को संतुलित रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही हैं. महाकाल मंदिर का शिलान्यास, तुष्टिकरण के आरोपों का खंडन और SIR प्रक्रिया पर तीखी टिप्पणियां उनके राजनीतिक संदेश को और मजबूत कर रही हैं. यह कदम आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी छवि और जन समर्थन को प्रभावित करने के लिए अहम माना जा रहा है. ममता बनर्जी की यह कोशिश है कि वे धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण दोनों में संतुलन बनाए रखते हुए लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता को बढ़ाएं और विपक्ष के आरोपों का जवाब दें.


