रूसी राष्ट्रपति पुतिन के राजकीय भोज में राहुल और खरगे को ना बुलाने पर सियासी विवाद...BJP ने दिया जवाब
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज को लेकर सियासी विवाद उत्पन्न हुआ. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि शशि थरूर को बुलाया गया. भाजपा ने इसे “विदेशी अतिथियों की प्राथमिकता” बताया और कांग्रेस के नाटक को खारिज किया.

नई दिल्ली : पिछले शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए आयोजित भव्य भोज को लेकर सियासी विवाद सामने आया. कांग्रेस नेताओं का आरोप था कि राज्यसभा और लोकसभा के विपक्ष के नेता, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, इस भोज में आमंत्रित नहीं किए गए. इस पर भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को "नाटक" करार देते हुए पलटवार किया.
मुलाकात करना उनके निर्णय पर निर्भर
#WATCH | Delhi: BJP spokesperson Gaurav Bhatia says, "... Whenever a foreign dignitary visits, they can indicate if they wish to meet any individual. You can see in the pictures that Rahul Gandhi has met ousted Bangladeshi PM Sheikh Hasina, the Prime Minister of Mauritius, and… pic.twitter.com/WZmWTUQUIX
— ANI (@ANI) December 6, 2025
राष्ट्रपति भवन में पुतिन के लिए विशेष भोज आयोजित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुतिन के दिल्ली में प्रवास के दौरान राष्ट्रपति भवन में विशेष भोज आयोजित किया. इस भोज में विपक्ष के नेता शामिल नहीं थे, जबकि कांग्रेस के शशि थरूर को आमंत्रित किया गया. थरूर ने भोज का वर्णन गर्मजोशी और संवादात्मक अनुभव वाला बताया और रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ अपने संवादी अनुभव साझा किए.
लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ...कांग्रेस
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पुष्टि की कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को औपचारिक भोज में आमंत्रित नहीं किया गया. वहीं, कांग्रेस के पवन खेड़ा ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि जब उनके वरिष्ठ नेता आमंत्रित नहीं हुए, लेकिन उन्हें आमंत्रित किया गया, तो इसका राजनीतिक संदेश समझने की जरूरत है.
सत्ता और विपक्ष के दृष्टिकोण में मतभेद
शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने विपक्ष के नेताओं को आमंत्रित न करने को "छोटी मानसिकता" वाला कदम बताया. खेड़ा ने कहा कि सभी की अंतरात्मा की आवाज़ सुननी चाहिए और यह समझना जरूरी है कि खेल कौन खेल रहा है. इस घटना ने भारत में औपचारिक protocol और राजनीतिक प्राथमिकताओं को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है.


