दिल्ली में सेकंड हैंड कारों पर 50% तक की गिरावट, खरीदारों के लिए सुनहरा मौका
दिल्ली के करोल बाग, प्रीत विहार, पीतमपुरा और मोती नगर में सेकंड हैंड गाड़ियों से जुड़े 1000 से ज्यादा कारोबारी भारी घाटे में हैं. पुराने वाहनों की बिक्री मुश्किल हो गई है और दूसरे राज्यों में ट्रांसफर के लिए जरूरी NOC लेने में भी उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर लगी बंदिशों का असर अब सेकंड हैंड कार बाजार पर साफ दिखने लगा है. उद्योग संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अनुसार, बीते कुछ दिनों में पुरानी कारों की कीमतों में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. संगठन के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि दिल्ली सरकार के प्रदूषण नियंत्रण नियमों और कोर्ट के सख्त आदेशों के चलते सेकंड हैंड गाड़ियों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
राजधानी में करीब 60 लाख ऐसे वाहन हैं जो इन पाबंदियों की जद में आ चुके हैं. दिल्ली में नियमों के तहत पेट्रोल गाड़ियां 15 साल और डीजल गाड़ियां 10 साल से अधिक पुरानी होने पर सड़कों पर नहीं चल सकतीं. इसके अलावा, इन वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन भी नहीं मिलेगा, जिससे वे पूरी तरह अनुपयोगी हो गए हैं.
अस्थायी राहत भी नाकाफी
हालांकि, 1 जुलाई से लागू होने वाली इस बंदिश को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, लेकिन यह राहत भी केवल कुछ समय के लिए है. इससे पहले, कई वाहन जब्त किए जा चुके हैं और अब उनके भविष्य को लेकर साफ तस्वीर नहीं है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है, जिससे वे अस्थिरता और नुकसान के बीच फंसे हैं.
आधी कीमत पर बिक रही हैं कारें
CTI के मुताबिक, लग्जरी सेकंड हैंड कारें, जो पहले 6-7 लाख रुपये में बिकती थीं, अब 4-5 लाख रुपये में भी नहीं बिक रही हैं. कुछ कारोबारी तो अपनी पुरानी कारें एक-चौथाई दामों में बेचने को मजबूर हैं. खरीदारों की संख्या घट गई है, जबकि आपूर्ति बरकरार है, जिससे बाजार में कीमतें तेजी से गिरी हैं.
अन्य राज्यों के खरीदार भी कर रहे मोलभाव
दिल्ली की पुरानी गाड़ियां अक्सर उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्यों में भेजी जाती थीं. लेकिन अब जब वहां के लोगों को दिल्ली की स्थिति का पता चला है, तो वे भी कम कीमत पर सौदा करने की मांग कर रहे हैं.
NOC की प्रक्रिया भी हुई मुश्किल
कारोबारियों को NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं, जो दूसरे राज्यों में गाड़ियां भेजने के लिए जरूरी होता है. पहले यह प्रक्रिया आसान थी, लेकिन अब इसमें तकनीकी अड़चनें और देरी बढ़ गई है.
व्यापारियों को सरकार से उम्मीद
करोल बाग, मोती नगर, प्रीत विहार और पीतमपुरा जैसे इलाकों में 1000 से ज्यादा व्यापारी सेकंड हैंड कारों का कारोबार करते हैं. मौजूदा हालात में वे भारी घाटा झेल रहे हैं. व्यापारी सरकार से राहत की उम्मीद कर रहे हैं ताकि पुराने वाहनों के बाजार को फिर से पटरी पर लाया जा सके.