पंजाब में 37 साल की सबसे भयानक बाढ़ पर केंद्र को घेरा, मंत्री बरिंदर गोयल बोले- BBMB की लापरवाही ने बढ़ाई तबाही
पंजाब इन दिनों भीषण बाढ़ की चपेट में है. राज्य सरकार ने केंद्र और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) पर लापरवाही का आरोप लगाया है. जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि समय पर बांधों पर ध्यान दिया गया होता तो यह तबाही टल सकती थी. लाखों लोग प्रभावित हैं मगर केंद्र सरकार से अब तक कोई राहत पैकेज या बयान नहीं आया.

Punjab News: पंजाब इन दिनों भीषण बाढ़ से जूझ रहा है और राज्य सरकार ने इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को जिम्मेदार ठहराया है. जल संसाधन मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने आज चंडीगढ़ में पंजाब भवन से प्रेस कॉन्फ्रेस करते हुए आरोप लगाया कि अगर समय रहते बांधों से पानी छोड़ा गया होता तो आज यह आपदा इतनी भयावह रूप नहीं लेती.
मंत्री ने यह भी कहा कि लाखों लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं लेकिन अब तक प्रधानमंत्री ने न तो कोई राहत पैकेज घोषित किया और न ही इस गंभीर स्थिति पर कोई प्रतिक्रिया दी है. वहीं हरियाणा के रवैये को भी मंत्री ने काफी कुछ सुनाया और कहा कि उसने अपने हिस्से का पानी घटवाने की मांग कर पंजाब को अपने हाल पर छोड़ दिया.
बीबीएमबी की लापरवाही ने कैसे बढ़ाई तबाही?
श्री गोयल ने बताया कि पंजाब सरकार ने कई बार अनुरोध किया था कि जून में बांधों से समय रहते पानी छोड़ा जाए. ताकि मानसून के समय अचानक बढ़े जल स्तर से निपटना आसान हो. लेकिन BBMB ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि अगर BBMB ने समय पर आवश्यक पानी छोड़ा होता तो हालात इतने बदतर नहीं होते. यह लापरवाही पंजाब की जनता के लिए विनाशकारी साबित हुई है.
माधोपुर हेडवर्क्स की रिपोर्ट पर उठाए सवाल
कैबिनेट मंत्री ने माधोपुर हेडवर्क्स पर 2024 में की गई एक निजी कंपनी की रिपोर्ट को भी कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने बताया कि 'लेवल 19 बिज प्राइवेट लिमिटेड' ने गेटों की क्षमता 6.25 लाख क्यूसेक बताई थी लेकिन ये गेट उससे आधे बहाव को भी संभाल नहीं सके. नतीजन गेट टूट गए और एक कर्मचारी की मौत हो गई. मंत्री ने कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत थी और इसके आधार पर लिया गया कोई भी निर्णय सही नही था.
हरियाणा के दोहरे रवैये
मंत्री ने हरियाणा के दोहरे रवैये की कड़ी आलोचना की. उन्होंने बताया कि एक ओर हरियाणा ने मदद की पेशकश की वहीं दूसरी ओर मानसून के दौरान अपने हिस्से का 7,900 क्यूसेक पानी घटाकर 6,250 क्यूसेक करवाने का आग्रह भी किया.
हरियाणा ने अपनी आबादी को बचाने के लिए पंजाब को बाढ़ के हवाले कर दिया.
1988 से भी भीषण रही इस बार की बाढ़
मंत्री गोयल ने बताया कि 1988 में रावी में 11.20 लाख क्यूसेक पानी था, जबकि इस बार यह आंकड़ा 14.11 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया. रंजीत सागर डैम से केवल 2.15 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. लेकिन हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से नदियों और खड्डों के जरिए आए अतिरिक्त बहाव ने हालात को और बिगाड़ दिया. यह पंजाब के सात जिलों के लिए कहर बनकर टूटा है.
राहत और बचाव कार्य में सरकार रही सक्रिय
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राहत कार्य तेजी से शुरू किए गए. 87 राहत शिविरों में 11,330 से अधिक लोगों को सुरक्षित पहुंचाया गया है. साथ ही, NDRF, SDRF और सेना की मदद से 110 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया. हर जान की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता रही है. राज्य की हर संस्था ने जमीन पर सक्रिय भूमिका निभाई जा रही है.
पशुओं की सुरक्षा को भी मिली प्राथमिकता
गोयल ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. फिरोजपुर और फाजिल्का में मार्केट कमेटी शेड्स और राहत आश्रयों में पशुओं के लिए चारा और चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई है. इंसानों की तरह जानवर मदद की गुहार नहीं लगा सकते इसलिए हमने तय किया कि कोई पशु असुरक्षित न रहे.
राजनीतिक दलों से की सहयोग की अपील
विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोपों पर मंत्री ने कहा कि यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं बल्कि एकजुट होकर पंजाब के लोगों के लिए काम करने का है. उन्होंने केंद्र सरकार से राज्यों को नुकसान का मूल्यांकन और राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मुआवजा देने का अधिकार देने की मांग भी की. प्रेस वार्ता के दौरान मुख्य अभियंता श्री जितेंद्र पाल सिंह और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.


