बिहार चुनाव में पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान, क्या सत्ता परिवर्तन की आहट है?
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में 64.66% की रिकॉर्ड वोटिंग हुई, जो 2020 से 8.5% अधिक है. मतदान में यह बढ़ोतरी सत्ता परिवर्तन की संभावना को लेकर चर्चा बढ़ा रही है. 121 सीटों पर कांटे की लड़ाई है, नए गठबंधन बने हैं, और 14 नवंबर को नतीजे तस्वीर साफ करेंगे.

नई दिल्लीः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में मतदाताओं ने उत्साह का नया इतिहास रच दिया है. इस चरण में 64.66% मतदान दर्ज किया गया, जो 2020 में हुए 56.1% मतदान से करीब 8.5% अधिक है. मतदान प्रतिशत में यह अभूतपूर्व बढ़ोतरी सूबे की राजनीति में हलचल पैदा कर रही है. सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों इसे अपने लिए सकारात्मक संकेत बता रहे हैं.
अब सबकी निगाहें 11 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण तथा 14 नवंबर को आने वाले चुनाव परिणामों पर टिक गई हैं.
दो-तिहाई मतदाताओं की भागीदारी
गुरुवार को 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ. इन सीटों पर लगभग 3.75 करोड़ मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें से दो-तिहाई से अधिक लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. तुलना के लिए 2020 से पहले चरण में 71 सीटों पर मतदान हुआ था, जिसमें 3.70 करोड़ मतदाताओं में से 2.06 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे.
क्या अधिक मतदान का मतलब सत्ता परिवर्तन?
परंपरागत रूप से अधिक वोटिंग को एंटी-इंकम्बेंसी यानी सत्ता-विरोधी लहर का संकेत माना जाता है. हालांकि यह हमेशा सही नहीं होता, कई बार ज्यादा मतदान सत्ता के समर्थन को भी दिखाता है. फिर भी बिहार के इतिहास पर नजर डालें तो तस्वीर कुछ अलग दिखाई देती है.
बड़े मतदान के बाद बदल गई सत्ता
1967: मतदान 44.5% से बढ़कर 51.5% हुआ. पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई.
1990: मतदान 56.3% से बढ़कर 62% हुआ. कांग्रेस हटकर जनता दल की सरकार बनी.
2005: मतदान में 16% की गिरावट के बावजूद सत्ता परिवर्तन हुआ. नीतीश कुमार पहली बार सत्ता में आए.
अब 2025 में 8.5% की रिकॉर्ड वृद्धि ने चर्चा को फिर तेज कर दिया है कि क्या इस बार भी बदलाव की आहट है.
बिहार की राजनीति का नब्ज क्षेत्र
पहले चरण की 121 सीटें मुख्य रूप से गंगा के दक्षिण के इलाकों में हैं. ये क्षेत्र लंबे समय से बिहार की राजनीति को दिशा देने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. इनमें प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं—
- मिथिलांचल
- कोसी
- मुंगेर
- सारण
- भोजपुर
2020 के चुनाव में महागठबंधन ने इन 121 सीटों में से 61 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए को 59 सीटें मिली थीं. दलों की स्थिति भी दिलचस्प रही.
- आरजेडी: 42
- भाजपा: 32
- जदयू: 23
- कांग्रेस: 8
- वाम दल: 11
2025 के नए गठबंधन समीकरण
इस चुनाव में हालात 2020 से बिल्कुल अलग हैं. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा फिर एनडीए में लौट आए हैं. मुकेश सहनी की वीआईपी, जो पहले एनडीए के साथ थी, अब महागठबंधन में शामिल है. इन बदलावों से दोनों गठबंधनों की स्थिति और रणनीति काफी प्रभावित हुई है.
नीतीश का आखिरी चुनाव?
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के बारे में माना जा रहा है कि यह चुनाव उनका अंतिम चुनाव हो सकता है. ‘पलटू चाचा’ के नाम से चर्चित नीतीश दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में हैं. वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद चाहती है कि इस बार एनडीए को रोककर सत्ता में वापसी का रास्ता बनाया जाए.
14 नवंबर को साफ होगा भविष्य
इतिहास कहता है कि बिहार में जब भी मतदान प्रतिशत में बड़ी उछाल आती है, राजनीतिक बदलाव का रास्ता खुलता है. क्या इस बार भी वही होगा? इसका जवाब 14 नवंबर को आने वाले नतीजों में मिलेगा.


