कर्नाटक में दिल के दौरे की बढ़ती घटनाओं का कोविड वैक्सीन से कोई संबंध नहीं, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
कर्नाटक के हसन जिले में मई-जून 2025 के बीच युवाओं की 24 अचानक मौतों की जांच में 20 हृदय संबंधी पाई गईं. इनमें 14 की उम्र 45 से कम थी. रिपोर्ट में जीवनशैली, मधुमेह, मोटापा जैसे जोखिम कारक सामने आए. सरकार ने CPR प्रशिक्षण, ECG सुविधा, और AED मशीनें लगाने जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय सुझाए.

मई और जून 2025 के बीच कर्नाटक के हसन जिले में युवाओं की अचानक मौतों की खबरों ने स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय कर दिया. राज्य सरकार ने विशेष जांच करवाई, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से युवा वयस्कों में बढ़ते हृदयाघात के मामलों की समीक्षा करना था. रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है, जो कुछ गहरी चिंताओं और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को उजागर करती है.
24 मामलों की जांच
सरकार को सौंपे गए इस विशेष अध्ययन में मई-जून 2025 के दौरान हुई 24 मौतों की विस्तृत जांच की गई. इनमें से 14 मृतक 45 वर्ष से कम उम्र के थे, जबकि 10 की उम्र इससे अधिक थी. इन मौतों में से केवल चार को गैर-हृदय संबंधी कारणों जैसे—गुर्दे की बीमारी, संक्रमण, दुर्घटना और बिजली का झटका से जोड़ा गया.
20 मौतें हृदय से संबंधित
बचे हुए 20 मामलों में से 10 को पोस्टमार्टम, ईसीजी रिपोर्ट या मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर हृदय संबंधी मृत्यु के रूप में पुष्टि किया गया, जबकि बाकी 10 को संभावित हृदय संबंधित मौतें माना गया. इनमें लक्षणों और पूर्व-स्थित जोखिम कारकों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया.
रिपोर्ट में मृत्यु का कारण बनने वाले सामान्य जोखिम कारकों को भी सूचीबद्ध किया गया है:
- मोटापा और शराब सेवन: 8-8 मामले
- मधुमेह: 7 मामले
- धूम्रपान और उच्च रक्तचाप: 6-6 मामले
- पारिवारिक हृदय रोग इतिहास: 3 मामले
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जीवनशैली और स्वास्थ्य आदतें इस तरह की मौतों में अहम भूमिका निभा रही हैं. अन्य जिलों से तुलना में हसन में कोई बढ़ोतरी नहीं. जब इन आंकड़ों की तुलना मई-जून 2024 के साथ की गई तो यह पाया गया कि हसन में हृदय संबंधी मौतों में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई है. अन्य जिलों जैसे बेंगलुरु, मैसूर और कलबुर्गी के मुकाबले यह दर या तो समान रही या मामूली घटी.
रिपोर्ट में प्रमुख चिंताएं
रिपोर्ट ने कई गंभीर समस्याएं भी उजागर कीं-
- कई मृतकों को अस्पताल नहीं ले जाया गया या पहुंचने पर मृत घोषित किया गया.
- पोस्टमार्टम नहीं हुआ, जिससे सही कारण पता नहीं चल सका.
- परिवारों का सीमित सहयोग, जिससे चिकित्सा जानकारी अधूरी रही.
- युवाओं में बिना पूर्व संकेत के मौतें, एक चेतावनी
सबसे अहम चिंता यह रही कि कई मौतें 19 से 43 वर्ष के ऐसे युवाओं की थीं, जिनमें कोई पूर्व हृदय संबंधी इतिहास दर्ज नहीं था. इससे यह संकेत मिला कि युवाओं में भी समय से पहले हृदय रोग का बोझ बढ़ रहा है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
रिपोर्ट की सिफारिशें
- अस्पताल के बाहर होने वाली मौतों के लिए पोस्टमार्टम अनिवार्य करना
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ECG मशीनों व हृदय दवाओं से लैस करना
- CPR प्रशिक्षण स्कूलों, जिम और सार्वजनिक स्थलों में शुरू करना
- सार्वजनिक स्थानों पर AED मशीनें लगाना
- टैक्सी, ऑटो चालकों जैसे व्यवसायों में नियमित स्वास्थ्य स्क्रीनिंग


