अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला, परिवार से मिलते ही छलक पड़े जज़्बात
ह्यूस्टन के एक निर्दिष्ट सुविधा केंद्र में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का उनके परिवार ने भावनात्मक स्वागत किया. पुनर्मिलन से पहले उनकी प्रारंभिक चिकित्सा जांच की गई, ताकि उनके स्वास्थ्य की पुष्टि हो सके. इस मिलन क्षण ने परिवार और देश, दोनों के लिए गर्व और खुशी का माहौल बनाया.

18 दिन की सफल अंतरिक्ष यात्रा के बाद जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी पर कदम रखा, तो यह क्षण सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व, राहत और भावनाओं से भरा था. शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनकर इतिहास रच दिया है.
प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन के बाद, शुक्ला को ह्यूस्टन की एक विशेष सुविधा में लाया गया, जहां प्रारंभिक चिकित्सा जांच के बाद उनका अपने परिवार से पुनर्मिलन हुआ. इस पुनर्मिलन का दृश्य अत्यंत भावुक था. उनकी पत्नी कामना ने उन्हें देखते ही गले लगा लिया और उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. शुक्ला ने अपने चार वर्षीय बेटे को भी बाहों में भर लिया, जो पूरे समय उनके अमेरिका में लौटने का इंतजार कर रहा था.
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा के बाद भावुक मिलन
शुक्ला लगभग दो महीनों के बाद अपने परिवार से मिल पाए. प्रक्षेपण से 15 दिन पहले से ही वह क्वारंटाइन में थे, जो मिशन की तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. अंतरिक्ष यात्रा से पहले और बाद की प्रक्रियाएं उनकी शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की परीक्षा थीं.
ह्यूस्टन में पति शुभांशु से हुई मुलाकात
22 घंटे की वापसी यात्रा के दौरान शुक्ला स्पेसएक्स के ड्रैगन यान में सवार थे, जो सोमवार दोपहर (भारतीय समयानुसार) आईएसएस से अनडॉक्ड हुआ. कक्षा में रहते हुए उन्होंने जीव विज्ञान, पदार्थ विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया. विशेष रूप से, स्प्राउट्स प्रोजेक्ट के अंतर्गत उनका कार्य—सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में पौधों की वृद्धि का अध्ययन—अंतरिक्ष में टिकाऊ कृषि की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
शुभांशु शुक्ला का पुनर्मिलन बना यादगार
शुक्ला, जिन्हें उनके साथी “शुक्स” कहकर पुकारते हैं, न केवल एक प्रेरणादायक वैज्ञानिक हैं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नई पीढ़ी के प्रतीक भी बन चुके हैं. उनका यह मिशन भारत के युवाओं को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा. उनकी यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से, बल्कि मानवीय भावना और राष्ट्रीय गर्व की दृष्टि से भी ऐतिहासिक है.


