भारत के परमाणु विज्ञान को नई दिशा देने वाले श्रीनिवासन का 95 वर्ष की उम्र में निधन
MR Srinivasan death: भारत के वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक और स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकार एम.आर. श्रीनिवासन का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया. होमी भाभा के साथ कार्य कर चुके श्रीनिवासन ने देश के पहले अनुसंधान रिएक्टर अप्सरा से लेकर 18 परमाणु इकाइयों के निर्माण तक अहम भूमिका निभाई थी.

MR Srinivasan death: भारत के प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक और देश के स्वदेशी दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (Pressurized Heavy-water Reactor) कार्यक्रम के प्रमुख रणनीतिकार मलूर रामासामी श्रीनिवासन का मंगलवार को निधन हो गया. वे 95 वर्ष के थे. श्रीनिवासन ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की नींव रखने वाले डॉ. होमी भाभा के साथ काम किया था और इस क्षेत्र में अनेक मील के पत्थर स्थापित किए थे.
उनकी बेटी शारदा श्रीनिवासन ने बताया कि सोमवार रात को तमिलनाडु के ऊटी में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. मंगलवार सुबह 4 बजे उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली. एक फेसबुक पोस्ट में बेटी ने पिता के प्रति श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "अप्पा... आपने हमेशा कहा कि काम हमारा कर्तव्य है और किसी भी परिस्थिति में काम नहीं छोड़ना चाहिए... लेकिन ये ठीक नहीं हुआ... कुछ दिन पहले ही हमने आपकी 95 साल की जीवन यात्रा के जश्न की योजना बनाई थी." उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मां उस समय उनके साथ थीं.
शुरुआती जीवन और शिक्षा
5 जनवरी 1930 को बेंगलुरु (तत्कालीन बैंगलोर) में जन्मे श्रीनिवासन आठ भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर थे. उन्होंने मैसूर (अब मैसूरु) के इंटरमीडिएट कॉलेज से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. यहां उन्होंने संस्कृत और अंग्रेज़ी विषयों का चयन किया था. वर्ष 1950 में उन्होंने वि.वि.सी.ई. (University of Visvesvaraya College of Engineering) से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.
इसके बाद वे कनाडा की प्रतिष्ठित मैकगिल यूनिवर्सिटी गए, जहां उन्होंने गैस टरबाइन टेक्नोलॉजी में 1954 में पीएचडी पूरी की.
परमाणु ऊर्जा विभाग में शानदार करियर
श्रीनिवासन ने सितम्बर 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) से अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने देश के पहले परमाणु अनुसंधान रिएक्टर 'अप्सरा' पर डॉ. होमी भाभा के साथ मिलकर काम किया, जो 1956 में क्रिटिकलिटी तक पहुंचा.
1967 में वे मद्रास एटॉमिक पावर स्टेशन के चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर बने. 1974 में उन्हें डीएई के पावर प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग डिवीजन का निदेशक बनाया गया और 1984 में न्यूक्लियर पावर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कार्यभार संभाला.
न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन के संस्थापक
1987 में श्रीनिवासन को परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष और डीएई का सचिव नियुक्त किया गया. इसी वर्ष उन्होंने न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्थापना की और इसके संस्थापक अध्यक्ष बने. उनके कार्यकाल में देश में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयों का निर्माण हुआ.
अंतरराष्ट्रीय भूमिका और योगदान
1990 से 1992 तक श्रीनिवासन विएना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत रहे. इसके बाद वे 1996 से 1998 तक योजना आयोग के सदस्य भी रहे.
वह वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेटर्स के संस्थापक सदस्यों में भी शामिल थे. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड में दो कार्यकाल (2002–2004 और 2006–2008) भी पूरे किए.
सम्मान और अंतिम यात्रा
श्रीनिवासन को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. उनकी विद्वत्ता, नेतृत्व और देश सेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.


