औकात में रहें अमित मालवीय...अमित मालवीय के बयान से तिलमिलाई कांग्रेस, पलटवार में खोले पुराने राज!
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय के राहुल गांधी पर 'निशान-ए-पाकिस्तान' वाली टिप्पणी ने सियासी भूचाल ला दिया है. उन्होंने राहुल पर ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य सफलता को कमतर आंकने और पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाया. इसके जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने उन्हें औकात में रहने की बात कही है.

भारतीय राजनीति का पारा एक बार फिर चढ़ गया है. वजह है बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय का राहुल गांधी पर सीधा हमला, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य सफलता को नजर अंदाज कर पाकिस्तान समर्थक भाषा बोल रहे हैं. उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या राहुल का अगला कदम ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ पाना है? इसके जवाब में कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी पर पुराना इतिहास भी खोल डाला.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोरारजी देसाई का हवाला देते हुए कहा कि देश में अगर किसी को निशान-ए-पाकिस्तान मिला है तो वो बीजेपी समर्थित नेता ही थे. इस पूरे विवाद ने पहलगाम आतंकी हमले, विदेश मंत्री की चुप्पी और पीएम मोदी की पाकिस्तान यात्रा जैसे पुराने मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है.
अमित मालवीय का राहुल पर तीखा हमला
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी को निशाने पर लिया. उन्होंने लिखा, “यह आश्चर्य की बात नहीं है कि राहुल गांधी पाकिस्तान और उसके हितैषियों की भाषा बोल रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री को बेदाग ऑपरेशन सिंदूर के लिए बधाई नहीं दी, जो स्पष्ट रूप से भारत के प्रभुत्व को दर्शाता है. इसके बजाय, वह बार-बार पूछते हैं कि हमने कितने जेट खो दिए हैं. एक सवाल जो पहले ही डीजीएमओ ब्रीफिंग में संबोधित किया जा चुका है. मजे की बात यह है कि उन्होंने एक बार भी यह नहीं पूछा कि संघर्ष के दौरान कितने पाकिस्तानी जेट मार गिराए गए, या कितने तब नष्ट हो गए जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस पर बमबारी की. राहुल गांधी के लिए आगे क्या है? निशान-ए-पाकिस्तान?”
औकात में रहें अमित मालवीय- कांग्रेस प्रवक्ता
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाबी हमला बोला और कहा, अमित मालवीय औकात में रहें. मुखबिरी की आदत इनकी ही है. देश में सिर्फ एक व्यक्ति को निशान-ए-पाकिस्तान मिला है – वो हैं मोरारजी देसाई. 1990 में जब बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह की सरकार थी, क्या बीजेपी ने इसका विरोध किया? उन्होंने यह भी कहा कि मोरारजी देसाई ने पाकिस्तानी तानाशाह जियाउल हक को भारतीय खुफिया एजेंसियों की जानकारी देकर रॉ को भारी नुकसान पहुंचाया था.
पहलगाम के आतंकी कहां हैं?
पवन खेड़ा ने ऑपरेशन सिंदूर से इतर पहलगाम आतंकी हमले पर सवाल उठाते हुए कहा कि 5 आतंकी हमले में शामिल थे, वे कहां हैं? क्या यह सवाल पूछना गुनाह है? उन्होंने यह भी कहा कि, विदेश मंत्री कहते हैं हमने पाकिस्तान को हमले से पहले सूचित किया था, लेकिन देश को क्यों नहीं बताया गया? जब देश संकट में होता है तब विपक्ष और सत्ता के बीच की दीवारें गिर जानी चाहिए, लेकिन सरकार उस वक्त भी राजनीति कर रही थी.
'निशान-ए-पाकिस्तान' का तंज
कांग्रेस नेता ने स्मृति दिलाई कि एल.के. आडवाणी जिन्ना की मजार पर जाकर उन्हें सेक्युलर बता चुके हैं. उन्होंने कहा कि आडवाणी जी शायद लाइन में लगे हों, उन्हें भी निशान-ए-पाकिस्तान मिल सकता है. मोदी जी बिना बुलाए पाकिस्तान गए थे, उन्हें भी मिल सकता है. अटल बिहारी वाजपेयी ने बटेश्वर कांड में क्रांतिकारी की मुखबिरी की थी – हम सवाल पूछेंगे.
विपक्ष ने क्यों जताया अविश्वास?
कांग्रेस का कहना है कि उन्हें भारतीय सेना की बातों पर भरोसा है, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व पर नहीं. खेड़ा ने कहा कि हमें अपने डीजीएमओ पर भरोसा है, पर नेतृत्व पर नहीं. जब हम सरकार के साथ खड़े थे, तब भी उन्होंने राजनीतिक हमले किए. देशवासियों को जानकारी नहीं दी गई, यही हमारी आपत्ति है.


