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पीरियड्स साबित करने के लिए मांगी प्राइवेट पार्ट की फोटो, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) में महिला सफाई कर्मियों से मासिक धर्म साबित करने के लिए प्राइवेट पार्ट की फोटो दिखाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लताड़ा है. इस मामले को लेकर कोर्ट से केंद्र सरकार से मांग की है.

हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) में महिला सफाई कर्मियों से मासिक धर्म साबित करने के लिए प्राइवेट पार्ट की फोटो दिखाने की मांग का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर सर्वोच्च अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 

समाज की सोच और महिलाओं की गरिमा से जुड़ा मुद्दा 

जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि समाज की सोच और महिलाओं की गरिमा से जुड़ा है. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ''कर्नाटक में महिलाओं को पीरियड लीव दी जा रही है, लेकिन यह पढ़कर लगा कि क्या अब छुट्टी लेने के लिए सबूत भी मांगे जाएंगे? यह लोगों की मानसिकता को दिखाता है.''

अदालत ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी की अनुपस्थिति से काम प्रभावित होता है, तो विकल्प के तौर पर किसी और को लगाया जा सकता था. किसी भी स्थिति में ऐसी अमानवीय मांग जायज नहीं ठहराई जा सकती है.

अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी 

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने इसे “गंभीर आपराधिक मामला” बताया और विशेष जांच की मांग की. अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 15 दिसंबर को निर्धारित की है. याचिका में महिलाओं की स्वास्थ्य, निजता, सम्मान और शारीरिक स्वायत्तता की रक्षा के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने की मांग भी की गई है.

दो सुपरवाइजरों को किया गया निलंबित 

पुलिस के अनुसार, 31 अक्टूबर को एमडीयू से जुड़े तीन व्यक्तियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और महिला की शील भंग करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो सुपरवाइजरों को निलंबित कर दिया है. साथ ही, मामले की आंतरिक जांच भी शुरू कर दी गई है.

कर्मचारियों ने लगाए गंभीर आरोप

शिकायत के अनुसार, यह घटना 26 अक्टूबर को तब हुई जब हरियाणा के राज्यपाल का दौरा निर्धारित था. तीन महिला सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि अस्वस्थ होने और मासिक धर्म की स्थिति बताने के बावजूद उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया गया.

उनमें से एक कर्मचारी, जो 11 वर्षों से काम कर रही हैं उसने बताया कि जब उन्होंने धीरे काम करने का कारण बताया, तो उनसे निजी अंगों की तस्वीरें दिखाकर सबूत देने को कहा गया और इनकार करने पर धमकाया गया. 

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28 November 2025, 06:28 PM IST

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