आतंकियों को मिले सजा, परमाणु धमकी न हो स्वीकार... UN में बोले एस. जयशंकर
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सोमवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी नीति को दोहराते हुए कहा कि दुनिया को आतंकियों को "दंडमुक्ति" नहीं देनी चाहिए और किसी भी हाल में "परमाणु ब्लैकमेल" के आगे नहीं झुकना चाहिए.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सोमवार को एक डिजिटल प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की "जीरो टॉलरेंस" नीति को दुनिया के सामने दोहराया. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को दंडमुक्ति नहीं मिलनी चाहिए, उन्हें किसी देश का "प्रॉक्सी" नहीं बनाना चाहिए और दुनिया को "न्यूक्लियर ब्लैकमेल" यानी परमाणु धमकी के आगे नहीं झुकना चाहिए.
जयशंकर ने यह बयान उस वक्त दिया जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने वाला है. उनके मुताबिक, आतंकवाद न केवल एक देश का मसला है, बल्कि यह पूरी मानवता और वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" का जिक्र करते हुए आतंक के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दुनिया के सामने रखा.
आतंकवादियों को मिले कड़ी सजा: जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि हमने देखा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की थी. उन्होंने आगे कहा, 'हमने उसके बाद वैसा ही होते देखा. इस प्रतिक्रिया ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को और मजबूत किया है.' उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की "स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म" यानी राज्य-प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करना और उसका प्रतिकार करना जरूरी है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमला
जयशंकर ने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि कैसे उस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई और भारत ने इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अब तक हम अच्छी तरह से जान चुके हैं कि कहीं भी आतंकवाद हर जगह शांति के लिए खतरा है. इस समझ को हमारी सामूहिक सोच और प्रतिक्रिया का मार्गदर्शन करना चाहिए."
"टेररिज्म मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन"
जयशंकर ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया. उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांतों मानवाधिकार, नियम और वैश्विक सहयोग के खिलाफ है. "जब आतंकवाद किसी राज्य द्वारा प्रायोजित होता है, जब वह कट्टरता और नफरत से भरा होता है, और जब वह अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है, तो उसे सार्वजनिक रूप से उजागर करना जरूरी हो जाता है."
'द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म
जयशंकर ने कहा कि यह डिजिटल प्रदर्शनी उन हजारों लोगों को आवाज देने की कोशिश है, जो आतंकवाद के शिकार हुए और अब दुनिया में नहीं हैं."यह प्रदर्शनी उन लोगों को आवाज देने का एक विनम्र लेकिन दृढ़ प्रयास है जो अब बोल नहीं सकते. प्रदर्शनी में 1993 मुंबई बम धमाके, 2008 मुंबई आतंकी हमले और हाल ही में हुए पहलगाम हमले की झलकियां शामिल हैं. इसमें पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं का भी उल्लेख किया गया है. दुनिया को करना होगा साझा
संकल्प: आतंक के खिलाफ एकजुट हो मानवता
जयशंकर ने अंत में कहा कि सिर्फ याद करने से कुछ नहीं होगा, अब जरूरत है कार्रवाई की. "हमें न केवल याद रखना चाहिए बल्कि उन मूल्यों और मानवाधिकारों को बनाए रखने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जिन्हें आतंकवाद नष्ट करना चाहता है."


