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जनगणना का क्या रहेगा प्रोसेस, कैसे पूछे जाएंगे सवाल... केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

2025 से शुरू हो रही भारत की जनगणना इस बार पहली बार डिजिटल रूप में और जातिगत आधार पर होगी, जो 1931 के बाद ऐतिहासिक मानी जा रही है. ये प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी और इसका डेटा नीतियों, आरक्षण व सामाजिक योजनाओं की आधारशिला बनेगा.

देश भर में लंबे समय से लंबित जनगणना प्रक्रिया आखिरकार शुरू हो गई है. गृह मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना और जातीय जनगणना से संबंधित आधिकारिक गजट अधिसूचना जारी कर दी है. इस बार जनगणना केवल आबादी की गणना तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जातिगत आधार पर विस्तृत सामाजिक-आर्थिक आंकड़े भी जुटाए जाएंगे.

कोरोना महामारी के कारण कई सालों से रुकी ये प्रक्रिया अब 2025 में दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहली बार भारत की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी और इसके साथ ही जातिगत जनगणना को भी औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा- जो 1931 के बाद ऐतिहासिक माना जा रहा है.

क्यों टली जनगणना, अब कब तक होगी पूरी?

2021 में प्रस्तावित जनगणना कोरोना महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी. अब ये प्रक्रिया मार्च 2025 से शुरू होकर मार्च 2027 तक पूरी की जाएगी. पहला चरण अक्टूबर 2026 तक और दूसरा चरण एक मार्च 2027 तक पूरा किया जाएगा. देश की जनसंख्या की गणना की 'रेफरेंस डेट' 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को माना जाएगा, जबकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड जैसे विशेष भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्रों के लिए ये तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी.

हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस 

जनगणना दो फेज में होगी- हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस. पहले चरण में मकानों की स्थिति, पेयजल, बिजली, शौचालय, स्वामित्व और अन्य बुनियादी सुविधाओं का आंकलन किया जाएगा. दूसरे चरण में हर व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय जानकारी जुटाई जाएगी.

34 लाख कर्मचारी लेंगे हिस्सा

ये पहली बार होगा जब जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यमों से की जाएगी. इसके लिए मोबाइल ऐप्स, टैबलेट्स और Self Enumeration यानी स्वयं जनगणना का विकल्प भी उपलब्ध रहेगा. करीब 34 लाख कर्मचारी इस अभियान में शामिल होंगे जिन्हें डिजिटल ट्रेनिंग दी जाएगी. उनके प्रशिक्षण का कार्य दो महीने तक चलेगा.

जातिगत जनगणना: ऐतिहासिक कदम

1931 के बाद ये पहला मौका होगा जब जातिगत जनगणना आधिकारिक रूप से जनगणना का हिस्सा बनेगी. इस बार सभी वर्गों की जातिगत और उपजातिगत जानकारी एकत्रित की जाएगी. ये डेटा सरकारी योजनाओं, आरक्षण नीति और सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों के लिए बुनियादी आधार बनेगा.

क्या-क्या सवाल पूछे जाएंगे?

पापुलेशन सेंसस के दौरान करीब 30 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें शामिल होंगे:

  • नाम, लिंग, जन्म तिथि

  • शिक्षा, रोजगार, वैवाहिक स्थिति

  • धर्म, जाति, उपजाति

  • परिवार के मुखिया से संबंध

  • आवासीय स्थिति और प्रवास का विवरण

जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा जिससे लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्वितरण संभव हो सकेगा. माना जा रहा है कि इससे पहले 33% महिला आरक्षण की सीटों की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी. परिसीमन की प्रक्रिया साल 2028 तक शुरू हो सकती है. हालांकि दक्षिणी राज्यों में इस पर असंतोष है क्योंकि उनकी जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है, जिससे सीटें घटने का डर है. इसको लेकर केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया है कि सभी राज्यों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाएगा.

कब जारी होंगे आंकड़े?

जनगणना की प्रक्रिया 21 महीनों में पूरी कर ली जाएगी. इसका प्रारंभिक डेटा मार्च 2027 में आ सकता है जबकि विस्तृत आंकड़े दिसंबर 2027 तक सार्वजनिक किए जाएंगे. ये जनगणना ना केवल सामाजिक-आर्थिक डेटा को मजबूत आधार देगी, बल्कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों में पारदर्शिता और सटीकता आएगी. केंद्रीय वित्त आयोग राज्यों को अनुदान देने के लिए भी इस डेटा का उपयोग करता है.

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16 June 2025, 01:09 PM IST

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