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प्रेग्नेंट महिलाओं ने मांगी पक्की सड़क, बीजेपी सांसद बोले– डिलीवरी से पहले बना देंगे

मध्य प्रदेश से वायरल वीडियो में 8 प्रेग्नेंट महिलाओं ने सरकार से पक्की सड़क की मांग की है, जिससे अस्पताल पहुंचना आसान हो सके. इस पर बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा ने कहा कि डिलीवरी से एक हफ्ता पहले सड़क बना देंगे. मंत्री राकेश सिंह ने सोशल मीडिया मांगों को टाल दिया.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक सशक्त जनसंचार का जरिया बन गया है. लोग अब इसी मंच का इस्तेमाल कर अपनी समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने लगे हैं. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सीधी जिले से सामने आया है, जहां लीला साहू नाम की एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और अन्य 7 प्रेग्नेंट महिलाओं ने अपने गांव में पक्की सड़क की मांग को लेकर वीडियो जारी किया.

गांव खड्डी खुर्द की इन महिलाओं ने अपने वीडियो में बताया कि कैसे कच्ची, कीचड़भरी और ऊबड़-खाबड़ सड़कों से होकर अस्पताल पहुंचना उनके लिए बेहद कठिन और जोखिमभरा हो गया है. यह वीडियो वायरल होने के बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को टैग किया गया. उल्लेखनीय है कि लीला साहू इससे पहले भी वर्ष 2023 में इसी मुद्दे को लेकर आवाज उठा चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

प्रेग्नेंसी में अस्पताल जाना मुश्किल

लीला साहू के सोशल मीडिया पर एक लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं और वह पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री को टैग करके सीधी जिले की बदहाल सड़कों की ओर ध्यान दिला चुकी हैं. 2023 में उनके वायरल वीडियो के बाद स्थानीय प्रशासन और सांसदों ने आश्वासन तो दिया, लेकिन एक साल बाद भी गांव की सड़कें वैसी की वैसी हैं – बदहाल और खतरनाक.

महिलाओं ने सोशल मीडिया से उठाई सड़क की मांग

इस बार दोबारा जब प्रेग्नेंसी के अंतिम दिनों में लीला साहू और अन्य महिलाओं ने अपनी पीड़ा साझा की, तो सीधी से बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा का बयान सामने आया. उन्होंने कहा, “हर डिलीवरी की एक तारीख होती है, हम उससे पहले सड़क का काम पूरा कर देंगे.” लेकिन उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या सड़क के कारण कोई डिलीवरी में परेशानी हुई है. उन्होंने आगे यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर और एम्बुलेंस उपलब्ध हैं, जिससे चिंता की कोई बात नहीं.

प्रेग्नेंट महिलाओं ने फिर लगाई गुहार

वहीं, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से की गई मांगों पर सीधी कार्रवाई को नकारते हुए कहा कि “अगर हर कोई पोस्ट डाल देगा तो क्या हम डम्पर लेकर पहुंच जाएंगे?” उन्होंने आगे कहा कि बजट सीमित हैं और सभी कार्य संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत होते हैं.

एक साल से अधूरी पड़ी सड़क

हालांकि सवाल यह है कि क्या बुनियादी सुविधाओं की मांग को भी राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रिया में उलझा दिया जाएगा? लीला साहू जैसी महिलाओं की आवाज़ें यह साबित करती हैं कि सोशल मीडिया पर बात करना एक प्रयास जरूर है, लेकिन जब तक सिस्टम सुनने और एक्शन लेने को तैयार न हो, तब तक बदलाव मुश्किल है.

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12 July 2025, 08:57 AM IST

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