भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर असमंजस, संघ और आलाकमान में नहीं बन पा रही सहमति
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर काफी समय से संशय बना है. वर्तमान अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था. लोकसभा चुनावों के चलते इसे जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया.

भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर पिछले कुछ समय से संशय बना हुआ है. वर्तमान अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था, लेकिन लोकसभा चुनावों के चलते इसे जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया. अब नए अध्यक्ष के चयन को लेकर पार्टी नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच गहन मंथन जारी है.
सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व जून में ही कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति कर संकेत दे सकता था, जैसा कि 2019 के बाद अमित शाह के स्थान पर जे.पी. नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर किया गया था. लेकिन इस बार संघ और पार्टी के बीच सहमति बनना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. संघ की स्पष्ट राय है कि नया अध्यक्ष संगठन को मजबूत करने वाला होना चाहिए, न कि केवल राजनीतिक संदेश देने वाला.
4 से 6 जुलाई तक दिल्ली में संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक होनी है, जिसमें सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और अन्य शीर्ष पदाधिकारी शामिल होंगे. इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर निर्णायक चर्चा संभव है.
संगठन में संभावित बड़े बदलाव
भाजपा का फोकस अब उस नेतृत्व पर है जो संगठन को सशक्त बना सके. नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद संगठनात्मक ढांचे में व्यापक फेरबदल की संभावना है. कयास लगाए जा रहे हैं कि 50% राष्ट्रीय महासचिव बदले जा सकते हैं और नए नेतृत्व में युवाओं को मौका मिल सकता है.
अब तक 14 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हैं, जबकि यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्यों में यह प्रक्रिया बाकी है. पार्टी चाहती है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले इन राज्यों में भी संगठनात्मक प्रक्रिया पूरी हो.
19 राज्यों में जरूरी है अध्यक्षों का निर्वाचन
हाल ही में भाजपा ने 19 राज्यों में अध्यक्ष चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारियों की घोषणा की है. इनमें महाराष्ट्र में किरण रिजिजू, उत्तराखंड में हर्ष मल्होत्रा और पश्चिम बंगाल में रविशंकर प्रसाद की नियुक्ति की गई है. इन चुनावों के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी.
यूपी: जातीय संतुलन अहम
उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जातीय समीकरण बड़ा मुद्दा है. राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ इस पर चर्चा कर चुके हैं. संभावित नामों में धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, बाबूराम निषाद, स्वतंत्र देव सिंह, दिनेश शर्मा, रामशंकर कठेरिया, विनोद सोनकर जैसे नेता शामिल हैं. सूत्रों का मानना है कि पार्टी यहां किसी ओबीसी चेहरे को प्राथमिकता दे सकती है.
कर्नाटक: विजयेंद्र को लेकर मतभेद
कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा अपने बेटे विजयेंद्र को अध्यक्ष बनाए रखना चाहते हैं, जबकि पार्टी का एक वर्ग इसके खिलाफ है. अन्य संभावित नामों में सुनील कुमार (ओबीसी) और सी.टी. रवि (वोक्कलिंगा) शामिल हैं.
महाराष्ट्र: रविंद्र चव्हाण की राह आसान
महाराष्ट्र में रविंद्र चव्हाण को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. फडणवीस के करीबी माने जाने वाले चव्हाण के पूर्ण अध्यक्ष बनने की संभावना प्रबल मानी जा रही है.
पश्चिम बंगाल: नेतृत्व को लेकर उलझन
बंगाल में सुकांता मजूमदार कार्यकारी अध्यक्ष हैं, लेकिन मंत्री पद की जिम्मेदारी के चलते उनकी जगह नए चेहरे की तलाश है. संभावित नामों में शुभेंदु अधिकारी, शमिक भट्टाचार्य, लॉकेट चटर्जी और अग्निमित्रा पॉल शामिल हैं. महिला नेतृत्व की संभावना भी जताई जा रही है.
मध्य प्रदेश: सामाजिक संतुलन की चुनौती
यहां ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों का प्रभाव बड़ा है. संभावित दावेदारों में गजेंद्र पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, लाल सिंह आर्य, कविता पाटीदार और हरिशंकर खटीक शामिल हैं. मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद ओबीसी समुदाय से हैं, जिससे समीकरण और जटिल हो गए हैं.
गुजरात: पाटीदार या ओबीसी चेहरा?
गुजरात में नया अध्यक्ष सौराष्ट्र क्षेत्र से पाटीदार समुदाय का हो सकता है. विजय रूपाणी के निधन के बाद सौराष्ट्र में नेतृत्व की कमी महसूस की जा रही है. साथ ही, ओबीसी समुदाय से भी चेहरा लाने पर विचार हो रहा है. प्रमुख नामों में दिलीप संघानी, जगदीश विश्वकर्मा, मयंक नायक और जनक पटेल शामिल हैं.


