अमेरिकी सीनेट ने लगाई मुहर, भारत में US के नए राजदूत होंगे सर्जियो गोर...दक्षिण और मध्य एशिया की भी मिली जिम्मेदारी
Sergio Gora Ambassador India : अमेरिका ने 38 वर्षीय सर्जियो “गोर” गोरोखोवोस्की को भारत का राजदूत नियुक्त करते हुए साथ ही दक्षिण एवं मध्य एशिया की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप दी है. गोर का जन्म ताशकंद में हुआ था और वे ट्रंप के वफादार समर्थक माने जाते हैं. नियुक्ति की प्रक्रिया और उनके पेटेंट प्रवेश को लेकर भारत में कई वरिष्ठ राजनयिकों ने प्रश्न उठाए हैं, क्योंकि यह तरीका और भूमिका अब तक दूसरे देशों में नहीं अपनाई गई.

Sergio Gora Ambassador India : अमेरिका ने सर्जियो गोर को भारत में राजदूत के तौर पर नियुक्त किया है, साथ ही उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. यह नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा और गहराई को प्रभावित करने वाली मानी जा रही है. गोर का वास्तविक उपनाम गोरोखोवोस्की है और वे उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में जन्मे थे. 12 वर्ष की उम्र में उनका परिवार अमेरिका चला गया था. उनके पिता सोवियत संघ की वायुसेना के लिए विमान डिजाइन करते थे और माँ इज़राइली मूल की हैं.
गोर का अमेरिकी राजनीति में उदय
गोर को भारत के राजदूत के तौर पर नामित...
जब सर्जियो गोर को भारत के राजदूत के तौर पर नामित किया गया, तब भारत सरकार को इसकी जानकारी पहले से नहीं थी. यह बात तब उजागर हुई जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक मीडिया बातचीत में कहा कि उन्हें भी इस नियुक्ति की खबर मीडिया से मिली. आमतौर पर राजनयिक प्रोटोकॉल के तहत किसी भी देश में राजदूत भेजने से पहले उस देश की अनुमति ली जाती है, लेकिन इस मामले में ट्रंप प्रशासन ने सीधे सार्वजनिक घोषणा कर दी, जिससे भारत की नाराजगी और असहजता साफ महसूस हुई.
दक्षिण और मध्य एशिया भी सौंपी गई
गोर को भारत के साथ-साथ दक्षिण और मध्य एशिया की देखरेख की जिम्मेदारी भी दी गई है, जिससे भारत की भूमिका कमतर करने की आशंका उत्पन्न हुई है. भारत लंबे समय से खुद को पाकिस्तान जैसे देशों से अलग दिखाना चाहता है, लेकिन गोर को पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपने से यह प्रयास प्रभावित हो सकता है. वरिष्ठ राजनयिक श्याम सरन ने इस पर चिंता जताई है और कहा कि यह भारत को "पार्ट-टाइम राजदूत" देने जैसा है.
गोर की ट्रंप तक पहुंच भारत के लिए फायदेमंद
कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि गोर की राष्ट्रपति ट्रंप तक सीधी पहुंच भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है. वहीं, ट्रंप के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन ने भी इस नियुक्ति का समर्थन किया और कहा कि गोर को भले ही भारत की नीति की गहरी समझ नहीं हो, लेकिन वे तेजी से सीखने में सक्षम हैं. दूसरी ओर, भारत की पारंपरिक गुटनिरपेक्ष विदेश नीति और ट्रंप की अचानक बदली रणनीतियां एक बार फिर भारत को असमंजस में डाल सकती हैं.
ट्रंप की भारत नीति पर संदेह
हाल के महीनों में ट्रंप ने भारत के खिलाफ कई तीखे बयान दिए हैं. उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना रूस से करते हुए उसे "मृत" कहा था. उनके सलाहकारों ने भारत पर यूक्रेन युद्ध में भूमिका निभाने तक के आरोप लगाए हैं. इससे स्पष्ट होता है कि ट्रंप की भारत नीति स्थिर नहीं है और गोर की नियुक्ति से इन रिश्तों में गर्माहट आएगी या तनाव इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता.
भारत की व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच...
सर्जियो गोर की भारत में राजदूत नियुक्ति अमेरिकी राजनीति के बदलते स्वरूप और भारत-अमेरिका संबंधों की जटिलता को दर्शाती है. जहां एक ओर यह नियुक्ति भारत को व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच दे सकती है, वहीं दूसरी ओर इस प्रक्रिया में पारंपरिक राजनयिक शिष्टाचार की अनदेखी और गोर की द्वैतीय भूमिका भारतीय विदेश नीति के लिए चिंता का विषय है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि गोर इस नई भूमिका में कैसे संतुलन स्थापित करते हैं.


