आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आवाज़ें तेज, जानिए CJI ने क्या कहा...
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को स्थायी आश्रयों में भेजने का आदेश दिया, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने उठी चिंताओं की समीक्षा करने का आश्वासन दिया. इस आदेश का जॉन अब्राहम और राहुल गांधी सहित कई लोगों ने विरोध किया.

Chief Justice on Relocation of Stray Dogs: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने बुधवार को कहा कि वह दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर उठी चिंताओं पर विचार करेंगे. एक वकील ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए अदालत के पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें सामुदायिक कुत्तों की अंधाधुंध हत्या पर रोक लगाई गई थी. वकील ने कहा कि यह फैसला न्यायमूर्ति करोल की पीठ द्वारा भी दिया गया था. इस पर सीजेआई गवई ने कहा कि चूंकि आदेश किसी अन्य पीठ ने पारित किया है, इसलिए वह इस पर गौर करेंगे.
11 अगस्त का आदेश
11 अगस्त को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को स्थायी आश्रय स्थलों में भेजने का निर्देश दिया. अदालत ने दिल्ली सरकार को 6-8 हफ्तों में लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने और दीर्घकालिक क्षमता वृद्धि योजना तैयार करने के लिए कहा. नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद के अधिकारियों को भी यही निर्देश दिए गए.
कठोर चेतावनी और टिप्पणियां
पीठ ने कहा कि पुनर्वास अभियान में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें अवमानना कार्यवाही भी शामिल है. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं पर टिप्पणी करते हुए न्यायाधीशों ने पूछा कि क्या वे रेबीज से जान गंवाने वाले बच्चों को वापस ला सकते हैं.
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने से शुरू हुआ, जब दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई. अदालत ने जन सुरक्षा को सर्वोच्च बताते हुए कहा कि ये निर्देश “व्यापक जनहित” में हैं और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुझाव दिया कि आदेश एनसीआर के सभी शहरों में समान रूप से लागू किया जाए.
जॉन अब्राहम और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
अभिनेता जॉन अब्राहम ने सीजेआई को पत्र लिखकर आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि ये ‘आवारा’ नहीं बल्कि सामुदायिक कुत्ते हैं, जो पीढ़ियों से इंसानों के साथ रह रहे हैं और जिनसे लोग लगाव रखते हैं.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी आदेश की आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीछे हटने जैसा है. उनके अनुसार, आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसे उपाय सड़कों को सुरक्षित बनाते हैं, जबकि कुत्तों को पूरी तरह हटाना न केवल अदूरदर्शिता है बल्कि करुणा को भी कम करता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ चल सकते हैं.


