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स्वर्ण मंदिर में हुई थी डिफेंस गन की तैनाती? आर्मी ने कर दिया क्लियर

ऑपरेशन सिंधूर के दौरान स्वर्ण मंदिर में वायु रक्षा तोपों की तैनाती की खबरों को भारतीय सेना और एसजीपीसी दोनों ने खारिज किया. सेना ने स्पष्ट किया कि परिसर में कोई एडी संसाधन तैनात नहीं किए गए. एसजीपीसी ने इसे "चौंकाने वाला झूठ" बताया और कहा कि धार्मिक आचार संहिता का पूरा पालन हुआ. ब्लैकआउट के दौरान भी श्रद्धालु आते रहे. मंदिर के सभी धार्मिक अनुष्ठान सामान्य रूप से जारी रहे. सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा गया है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई के बाद, मीडिया में यह खबरें आईं कि स्वर्ण मंदिर परिसर में वायु रक्षा (एडी) तोपों की तैनाती की गई थी. इस पर भारतीय सेना ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि श्री दरबार साहिब अमृतसर (स्वर्ण मंदिर) के परिसर में कोई भी एडी तोपें या अन्य सैन्य संसाधन तैनात नहीं किए गए थे. सेना ने इसे "गलत सूचना" करार देते हुए कहा कि ऐसी कोई तैनाती नहीं की गई थी.

सेना के अधिकारियों के बयानों पर विवाद

इस स्पष्टीकरण से पहले, भारतीय सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने मीडिया में दिए गए बयानों में कहा था कि स्वर्ण मंदिर के अधिकारियों ने सेना को परिसर में वायु रक्षा तोपें तैनात करने की अनुमति दी थी. लेफ्टिनेंट जनरल डी'कुन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा था कि यह "बहुत अच्छा" था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने सेना को अपनी बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी. उन्होंने यह भी कहा कि स्वर्ण मंदिर के अधिकारियों से अभूतपूर्व सहयोग मिला था.

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का खंडन

स्वर्ण मंदिर के प्रबंधन ने इन बयानों का खंडन किया है. एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि गुरुद्वारे के अंदर वायु रक्षा तोपों की तैनाती की कोई अनुमति नहीं दी गई थी. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन ने सुरक्षा चिंताओं के बीच ब्लैकआउट प्रक्रियाओं के बारे में एसजीपीसी से संपर्क किया था, लेकिन हथियारों की तैनाती के बारे में कोई चर्चा या मंजूरी नहीं दी गई.

धार्मिक आचार संहिता का पालन

स्वर्ण मंदिर के अतिरिक्त मुख्य पुजारी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने सेना की तैनाती के दावे को "चौंकाने वाला झूठ" करार दिया और स्पष्ट रूप से इसका खंडन किया. उन्होंने कहा कि बंदूकें लगाने की कभी कोई अनुमति नहीं दी गई थी. हरमंदर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी पुष्टि की कि उन्हें किसी भी तैनाती के बारे में कोई सूचना नहीं मिली. उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई. 

ब्लैकआउट के दौरान धार्मिक अनुष्ठान जारी रहे

ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि शहर भर में ब्लैकआउट के दौरान प्रबंधन ने जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए बाहरी और ऊपरी लाइटें बंद कर दीं, लेकिन धार्मिक आचार संहिता के तहत आने वाले इलाकों में लाइटें चालू रखी गईं. उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थल की पवित्रता को पूरी जिम्मेदारी के साथ बनाए रखा गया. श्री दरबार साहिब में गुरु रामदास जी का लंगर, श्री अखंड पाठ साहिब और अन्य संबंधित गुरुद्वारों सहित दैनिक धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी व्यवधान के और धार्मिक प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए जारी रहे. 

गलत सूचना फैलाने की आलोचना

एसजीपीसी प्रमुख धामी ने कहा कि ब्लैकआउट के दौरान भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहे और सेवा करते रहे. उन्होंने कहा, "अगर बंदूकों की तैनाती जैसी कोई घटना होती तो संगत ने निश्चित रूप से इस पर ध्यान दिया होता और इसे देखा होता." तनावपूर्ण स्थिति के दौरान सेना और देश द्वारा निभाई गई सराहनीय भूमिका को स्वीकार करते हुए धामी ने गलत सूचना फैलाने की आलोचना की. उन्होंने कहा, "घटना के कुछ दिनों बाद सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल के बारे में इस तरह की झूठी बातें फैलाना चौंकाने वाला झूठ है." उन्होंने सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा.

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20 May 2025, 08:23 PM IST

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