पाकिस्तान में बढ़ सकता है जल संकट!, भारत ने सिंधु नदी के बाद अब चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से रोका पानी- सूत्र
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद चिनाब और झेलम नदियों के जल प्रवाह पर नियंत्रण की योजना बनाई है. रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने बगलिहार और किशनगंगा बांधों से पानी का प्रवाह रोक दिया है. सिंधु जल संधि, जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, अब अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई है. इससे दोनों देशों के बीच जलवृद्धि विवाद और बढ़ने की संभावना है, जो पहले से ही सैन्य और कूटनीतिक मुद्दे हैं.

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने के कुछ दिनों बाद चिनाब और झेलम नदियों के जल प्रवाह को नियंत्रित करने की योजना बनाई है. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद यह निर्णय लिया गया. रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार बांध से पानी का प्रवाह रोक दिया है और कथित तौर पर झेलम नदी पर किशनगंगा बांध पर भी ऐसी ही कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
बगलिहार और किशनगंगा बांध
इन जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद लंबे समय से जारी है. बगलिहार बांध जम्मू के रामबन क्षेत्र में स्थित है, जबकि किशनगंगा बांध उत्तरी कश्मीर में है. इन बांधों के जरिए भारत को नदियों से पानी का प्रवाह नियंत्रित करने की शक्ति प्राप्त है, जिससे दोनों देशों के बीच जलसंसाधनों का वितरण प्रभावित हो सकता है. खासकर, पाकिस्तान ने इन बांधों पर कई बार आपत्ति जताई है, यह आरोप लगाते हुए कि भारत इनका उपयोग राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकता है.
सिंधु जल संधि का निलंबन
भारत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में पाकिस्तानी आतंकियों की कथित भूमिका को लेकर कड़ा रुख अपनाया था, और इसके परिणामस्वरूप, उसने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला किया था. सिंधु जल संधि, जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच बनी थी, दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जलवृद्धि के अधिकारों को नियंत्रित करती है. यह संधि कई दशकों से दोनों देशों के बीच जलवायु विवादों का समाधान करती रही है, लेकिन अब भारत ने इस पर अस्थायी रोक लगा दी है.
भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक समझौता
सिंधु जल संधि पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे. यह संधि, दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण जलसंसाधन समझौता मानी जाती थी और इसकी सफलता को अक्सर शांति और सहयोग के एक प्रतीक के रूप में देखा जाता था. हालांकि, संधि के बावजूद, तीन युद्धों – 1965, 1971 और 1999 – के दौरान इस संधि का प्रभाव कभी खत्म नहीं हुआ. इन संघर्षों में भी सिंधु जल संधि एक अहम मुद्दा रही थी, लेकिन अब इसे निलंबित कर दिया गया है.
बगलिहार और किशनगंगा बांध पर विवाद
बगलिहार बांध, जो जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में स्थित है, पाकिस्तान के लिए हमेशा एक विवाद का विषय रहा है. पाकिस्तान ने इस बांध के निर्माण पर कई बार आपत्ति जताई है और विश्व बैंक से इसके निर्माण पर मध्यस्थता की मांग की थी. इसके अलावा, किशनगंगा बांध भी विवाद का कारण रहा है, क्योंकि इसे झेलम नदी की सहायक नदी नीलम पर बनाया गया है. पाकिस्तान का आरोप है कि इससे नीलम नदी के पानी का प्रवाह प्रभावित हुआ है, जो कि पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण जलस्रोत है.
भविष्य में जलसंसाधन विवाद
भारत और पाकिस्तान के बीच जलवृद्धि विवाद न केवल दोनों देशों की आंतरिक राजनीति से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है. सिंधु जल संधि का निलंबन और जल प्रवाह पर नियंत्रण की भारत की कार्रवाई यह संकेत देती है कि भारत जलसंसाधनों के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है. इससे भविष्य में दोनों देशों के बीच जलवृद्धि विवाद और भी बढ़ सकते हैं, जो पहले से ही सैन्य और कूटनीतिक विवादों का कारण बने हुए हैं.


