सुनवाई के दौरान भड़के CJI गवई, कहा- 'वकील छुट्टियों में काम करने के लिए तैयार नहीं, फिर भी दोष हमें मिलता है'
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दौरान वकीलों के काम में रुचि नहीं दिखाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका तो काम कर रही है लेकिन लंबित मामलों का दोष हमेशा सिर्फ उन्हें ही क्यों मिलता है? जानिए यह विवाद क्यों गहरा गया!

CJI Gavai: भारत में न्यायपालिका और वकीलों के बीच कभी न खत्म होने वाला टकराव कभी शांत नहीं होता. हाल ही में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने इस मामले पर अपनी नाराजगी जाहिर की, जब उन्हें यह एहसास हुआ कि ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दौरान वकील काम करने के लिए तैयार नहीं हैं.
जब लंबित मामलों का सवाल उठता है तो न्यायपालिका पर दोष लगाया जाता है लेकिन खुद वकील छुट्टियों के दौरान काम नहीं करना चाहते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिससे वकील और न्यायपालिका के रिश्तों पर फिर से सवाल उठे हैं.
CJI गवई क्यों हुए नाराज?
बुधवार को, जब एक वकील ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अपनी याचिका को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया तो CJI गवई और न्यायमूर्ति जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई. CJI ने कहा, 'हम छुट्टियों के दौरान भी काम कर रहे हैं लेकिन फिर भी लंबित मामलों के लिए सिर्फ न्यायपालिका को दोषी ठहराया जाता है. असल में, वकील ही हैं जो छुट्टियों के दौरान काम करने के लिए तैयार नहीं हैं.'
दरअसल यह बयान तब आया, जब वकील अदालत से याचिकाओं को तुरंत सूचीबद्ध करने की मांग कर रहे थे लेकिन गवई का मानना था कि वकील खुद ही छुट्टियों में काम करने से कतराते हैं, जबकि न्यायाधीश अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
न्यायपालिका ने क्या कदम उठाए?
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान कार्यरत पीठों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है. 26 मई से 13 जुलाई तक ‘आंशिक अदालत कार्य दिवस’ के रूप में यह कार्य व्यवस्था लागू की जाएगी. इस दौरान दो से पांच अवकाश पीठों का गठन किया जाएगा, जिनमें CJI गवई सहित शीर्ष पांच न्यायधीश भी शामिल होंगे. पहले की परंपरा के अनुसार, ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सिर्फ दो अवकाश पीठ हुआ करती थीं.
छुट्टियों में क्या बदलाव हुए हैं?
इस नई व्यवस्था के तहत, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री 26 मई से 1 जून तक खुली रहेगी और यह सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कार्य करेगी. हालांकि, रजिस्ट्री शनिवार (12 जुलाई को छोड़कर), रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों पर बंद रहेगी. इस पहल का उद्देश्य छुट्टियों के दौरान भी अदालत के कामकाजी माहौल को बनाए रखना है ताकि लंबित मामलों का निपटारा जल्दी हो सके.
क्या है इसका संदेश?
मुख्य न्यायाधीश गवई का यह बयान साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि अदालतें अपने काम में पूरी तरह से समर्पित हैं लेकिन वकीलों को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए काम करना चाहिए. सिर्फ न्यायपालिका पर दोष डालने से काम नहीं चलेगा, वकीलों को भी न्याय के इस सफर में साथ देना होगा.


