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BJP नेताओं की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- संविधान की सीमाएं तय हैं

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका पर हो रहे हमलों और जुडिशियल ओवररीच के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है. जस्टिस बीआर गवई ने कार्यपालिका में हस्तक्षेप के आरोपों को लेकर चिंता जताई. भाजपा नेताओं की आलोचना के बाद पार्टी ने उनके बयानों से किनारा कर लिया और उन्हें व्यक्तिगत बताया.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

सुप्रीम कोर्ट ने आज न्यायपालिका पर हालिया हमलों और जुडिशियल ओवररीच के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी. ये टिप्पणी उस वक्त आई जब अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पश्चिम बंगाल में हालिया हिंसा के मामलों में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की गई थी. इस दौरान जस्टिस बीआर गवई, जो अगले महीने भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं, ने कहा कि कोर्ट पहले से ही "कार्यपालिका के क्षेत्र में दखल" देने के आरोपों का सामना कर रहा है.

जस्टिस गवई की टिप्पणी यह दर्शाती है कि सुप्रीम कोर्ट ruling पार्टी के कुछ नेताओं की टिप्पणियों पर गंभीरता से नजर बनाए हुए है. गौरतलब है कि हाल ही में अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधायिका द्वारा दूसरी बार पारित किए गए विधेयकों को मंजूरी देने की समयसीमा तय की थी, जिसके बाद न्यायपालिका पर टिप्पणी की गई.

वकील की याचिका पर कोर्ट की प्रतिक्रिया

वकील विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को लेकर एक लंबित याचिका का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती जरूरी है. साथ ही, उन्होंने एक नई याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की कि बंगाल के मुर्शिदाबाद जैसे क्षेत्रों में हिंसा की जांच के लिए तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति बनाई जाए और हिंसा के बाद हिंदुओं के विस्थापन पर रिपोर्ट मांगी जाए.

इस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को ऐसा करने के लिए एक रिट ऑफ मैंडमस जारी करें? वैसे ही हम पर कार्यपालिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप के आरोप लग रहे हैं. कृपया

भाजपा नेताओं के निशाने पर सुप्रीम कोर्ट

तमिलनाडु मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद भाजपा के कुछ नेताओं ने अदालत की आलोचना की थी. उस फैसले में अदालत ने कहा था कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोके रखना 'मनमाना' है और इसे असंवैधानिक करार देते हुए विशेष शक्तियों के तहत आदेश पारित किया था.

इसके बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही सारे फैसले करेगा, तो संसद बंद कर देनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाएं लांघ रहा है. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट धार्मिक विवादों को भी भड़का रहा है.भाजपा नेता दिनेश शर्मा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और पूछा, 'आप राष्ट्रपति को आदेश कैसे दे सकते हैं? राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं. आप संसद को आदेश देंगे?'

उपराष्ट्रपति का भी निशाना

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप राष्ट्रपति को निर्देश दें. आर्टिकल 142 एक न्यूक्लियर मिसाइल बन चुका है, जो 24x7 न्यायपालिका के पास उपलब्ध है.'

भाजपा ने बनाई दूरी

विपक्षी दलों ने जहां न्यायपालिका पर हो रहे हमलों के लिए सत्ताधारी दल को घेरा, वहीं भाजपा ने अपने सांसदों के बयानों से किनारा कर लिया. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि ये उनके व्यक्तिगत बयान हैं. भाजपा इनसे सहमत नहीं है और इन्हें पूरी तरह खारिज करती है.

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21 April 2025, 03:17 PM IST

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