SCO से लेकर द्विपक्षीय रिश्तों तक... बीजिंग में जयशंकर-हान झेंग की मुलाकात में क्या-क्या हुआ?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर पांच साल बाद चीन पहुंचे, जहां उन्होंने उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने पर चर्चा की. ये यात्रा गलवान झड़पों के बाद भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है.

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को तीन दिवसीय यात्रा पर चीन पहुंचे हैं, जहां वे तियानजिन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक में हिस्सा लेंगे. ये यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन दोनों ही देश द्विपक्षीय संबंधों में जमी बर्फ को पिघलाने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं. जयशंकर की ये यात्रा साल 2020 की गलवान घाटी की झड़पों के बाद संबंधों को सामान्य करने की एक अहम कड़ी मानी जा रही है.
बीजिंग पहुंचते ही एस. जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और SCO में भारत के समर्थन का आश्वासन दिया. बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति और उन्हें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई. जयशंकर ने चीन की SCO अध्यक्षता का स्वागत करते हुए भरोसा जताया कि यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी.
बीजिंग में जयशंकर की पहली प्रतिक्रिया
चीन पहुंचने के तुरंत बाद एस. जयशंकर ने ट्वीट करते हुए कहा कि आज बीजिंग पहुंचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलकर खुशी हुई. उन्हें चीन की SCO अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन से अवगत कराया. हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर गौर किया गया और विश्वास व्यक्त किया कि मेरी यात्रा के दौरान चर्चा उस सकारात्मक ट्रेजेक्टरी (रास्ते) को बनाए रखेगी.
SCO बैठक से पहले हुई अहम बैठक
विदेश मंत्री जयशंकर और उपराष्ट्रपति हान झेंग के बीच बातचीत के दौरान SCO, द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे अहम विषयों पर चर्चा हुई. जयशंकर ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए मेरी यात्रा के दौरान आपसे मिलना खुशी की बात है. भारत एससीओ में चीन की सफल अध्यक्षता का समर्थन करता है. जैसा कि आपने बताया है, पिछले अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है. मुझे विश्वास है कि इस यात्रा में मेरी चर्चाएं उस सकारात्मक ट्रेजेक्टरी को बनाए रखेंगी.
75वीं वर्षगांठ और कैलाश यात्रा पर जोर
विदेश मंत्री ने भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाई है. कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली की भी भारत में व्यापक सराहना हो रही है. हमारे संबंधों का लगातार सामान्य होना दोनों देशों को फायदा पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि जटिल अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत और चीन के बीच खुले संवाद और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान बेहद जरूरी है. जैसा कि आज हम देख रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय स्थिति बहुत जटिल है. पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और चीन के बीच विचारों और दृष्टिकोणों का खुला आदान-प्रदान बहुत महत्वपूर्ण है. मैं इस यात्रा के दौरान ऐसी चर्चाओं की आशा करता हूं.
चीन का स्वागत और 'ड्रैगन-हाथी टैंगो' का जिक्र
इस मौके पर चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग ने भी सकारात्मक रुख दिखाते हुए कहा कि चीन और भारत, दोनों प्रमुख विकासशील देश और ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं. एक-दूसरे की सफलता को सक्षम बनाने वाले भागीदार बनना और 'ड्रैगन-हाथी टैंगो' हासिल करना दोनों पक्षों के लिए सही विकल्प है.
उन्होंने ये भी जोड़ा कि दोनों पक्षों को नेताओं द्वारा तय की गई सहमति को लागू करना चाहिए, व्यावहारिक सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए और एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करते हुए संबंधों को स्वस्थ व स्थिर दिशा में ले जाना चाहिए.
गलवान के बाद रिश्तों में सुधार की कोशिश
गौरतलब है कि विदेश मंत्री जयशंकर की ये यात्रा साल 2020 में गलवान घाटी की झड़पों के बाद पहली चीन यात्रा है. इससे पहले उन्होंने सिंगापुर की यात्रा पूरी की और फिर बीजिंग पहुंचे. इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने भी जून में SCO बैठकों के सिलसिले में चीन की यात्रा की थी. अब उम्मीद की जा रही है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी अगस्त में भारत आएंगे, जहां वे NSA अजीत डोभाल से सीमा विवाद को लेकर बातचीत करेंगे. य वार्ता दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में विशेष प्रतिनिधि तंत्र (SR Mechanism) के तहत होनी है.


