क्या है PMLA जिसके तहत अब ED नहीं कर सकेगी गिरफ्तारी?
PMLA: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि विशेष अदालत द्वारा PMLA शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकती.
PMLA: मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारियों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (19 मई) को बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अगर विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर संज्ञान लिया है, तो ईडी 'प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट' (PMLA) की धारा 19 के तहत शक्तियों का उपयोग करके आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. गिरफ्तारी के लिए पहले ईडी को विशेष अदालत में इसके लिए एप्लिकेशन देनी होगी.
गिरफ्तारी के लिए कोर्ट की इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जमानत पाने के लिए पीएमएलए में दी गई सख्त शर्तें उस आरोपी पर लागू नहीं होंगी जिसे जांच के दौरान ईडी ने गिरफ्तार नहीं किया है. कोर्ट ने कहा है कि ''जब कोर्ट ऐसे आरोपी को आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद समन जारी करेगा और वह पेश होगा तो उसे जमानत मिल जायेगी.'' उसके आगे कोर्ट ने कहा कि ''धारा 45 में दी गई जमानत की दोहरी शर्तें उस पर लागू नहीं होंगी. अगर ईडी ऐसे किसी आरोपी को कोर्ट में चार्जशीट पेश करने के बाद गिरफ्तार करना चाहती है तो कोर्ट से इजाजत लेनी होगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने PMLA कानून को लेकर फैसला सुनाया. पीठ ने कहा, "यदि पीएमएलए की धारा 4 के तहत किसी अपराध का संज्ञान धारा 44 के तहत एक शिकायत के आधार पर लिया गया है, तो ईडी और उसके अधिकारी धारा 19 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके आरोपी के रूप में नामित व्यक्ति को गिरफ्तार करेंगे."
क्या है PMLA क़ानून?
पीएमएलए और उसके तहत अधिसूचित नियम बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यस्थों और निर्दिष्ट व्यवसाय या पेशे वाले लोगों पर ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने, रिकॉर्ड बनाए रखने और एफआईयू-आईएनडी को जानकारी प्रस्तुत करने का दायित्व लगाते हैं. पीएमएलए मनी-लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों के लिए एक अधिनियम है.