क्या है भारतीय सेना की Cold Start Doctrine? जिसने पाकिस्तान को कर दिया बेचैन, जानिए

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को चौंकाते हुए कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन के तहत 6 मई की रात 9 ठिकानों पर जवाबी हमला किया. यह रणनीति भारत की त्वरित सैन्य प्रतिक्रिया क्षमता को दर्शाती है, जो 2001 में संसद हमले के बाद विकसित की गई थी.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिसे 'कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन' के रूप में जाना जाता है. यह डॉक्ट्रिन विशेष रूप से पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए छद्म युद्ध का प्रभावी जवाब देने के लिए विकसित की गई है. पिछले दो दशकों में भारत ने इस रणनीति को तेजी से विकसित किया, जिसका स्पष्ट उदाहरण 6 मई को पाकिस्तान के खिलाफ किए गए हमलों में देखा गया. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सीमा पर स्थिति को मजबूती से संभालते हुए, बिना किसी देरी के जवाबी कार्रवाई की.

इस डॉक्ट्रिन का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए आतंकवादी हमलों और प्रॉक्सी युद्ध का त्वरित और प्रभावी जवाब देना है. भारत ने इस रणनीति के तहत अपनी सेनाओं को रेडी टू मूव मोड में रखा है, ताकि किसी भी हमले का तत्काल जवाब दिया जा सके. खासतौर पर 2010 के बाद, जब मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने इस रणनीति पर काम तेज किया, तब से यह और भी प्रभावी हो गई है.

कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन का जन्म और विकास

कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन की नींव 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद रखी गई. इस हमले के बाद भारत में यह महसूस किया गया कि पाकिस्तान द्वारा प्रॉक्सी वॉर छेड़े जाने का प्रभावी जवाब देना आवश्यक है. ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) गुरमीत कंवल ने अपने रिसर्च पेपर 'India’s Cold Start Doctrine and Strategic Stability' में लिखा है कि इस हमले के बाद भारत को कड़ा ऐक्शन लेने की मांग की गई थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई.

मुंबई हमले के बाद तेजी से शुरू हुआ डॉक्ट्रिन पर काम

2010 में मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन पर तेज़ी से काम करना शुरू किया. इस डॉक्ट्रिन का उद्देश्य था कि भारतीय सेना को तुरंत तैनात किया जा सके, ताकि पाकिस्तान के किसी भी हमले का तुरंत जवाब दिया जा सके. इस रणनीति का मुख्य फोकस यही था कि सेनाओं की तैनाती कुछ दिनों में पूरी हो, न कि हफ्तों में. पाकिस्तान की प्रॉक्सी वॉर का जवाब देने के लिए सीमित लेकिन प्रभावी हमले किए जाएं, ताकि यह संदेश जाए कि भारत अब और चुप नहीं बैठेगा.

समय पर जवाब और आधुनिक संचार प्रणाली की भूमिका

कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन के तहत, भारतीय सेना की तैनाती में देरी नहीं होती. इस रणनीति के तहत तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और अडवांस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसका उद्देश्य यह है कि भारत को किसी भी प्रकार के प्रॉक्सी युद्ध का कड़ा और तत्परता से जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए.

पाकिस्तान के छद्म युद्ध का जवाब

भारत की कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन पाकिस्तान के छद्म युद्ध का प्रभावी जवाब देने के लिए बनाई गई है. पाकिस्तान के द्वारा छेड़े गए आतंकवादी हमलों को रोकने और उनका जवाब देने के लिए यह डॉक्ट्रिन जरूरी हो गई थी. भारत ने 6 मई की रात पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर हमले करके यह साबित किया कि अब वह किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमलों को सहन नहीं करेगा. जब पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, तो भारतीय सेना ने उसे आसमान में ही नष्ट कर दिया, यह दिखाता है कि भारत अब पूरी तरह से तैयार है.

भारत की शक्ति का प्रतीक

कोल्ड वॉर डॉक्ट्रिन को अपनाने के बाद भारत ने अपनी सैन्य रणनीतियों को काफी बदल दिया है. अब भारतीय सेना पाकिस्तान के किसी भी हमले का तत्काल और प्रभावी जवाब देने के लिए तैयार रहती है. यह भारत की सुरक्षा नीतियों में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसने पाकिस्तान को यह संदेश दिया है कि अब भारत चुप नहीं रहेगा और किसी भी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों का कड़ा जवाब देगा.

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09 May 2025, 05:35 PM IST

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