अगर मेडिकल वीजा पर आए पाकिस्तानियों ने तय समय पर नहीं छोड़ा भारत, तो क्या होगा? उन्हें कैसे तलाशा जाएगा?
भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के नागरिकों के 14 प्रकार के वीजा रद्द कर दिए हैं और उन्हें 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया है.

भारत सरकार ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. इसमें सबसे अहम फैसला पाकिस्तान के नागरिकों को जारी किए गए वीजा को रद्द करने का है. केंद्रीय सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को जारी 14 प्रकार के वीजा को निलंबित कर दिया है और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि पाकिस्तान के नागरिकों की पहचान की जाए और उन्हें पाकिस्तान वापस भेजा जाए. इसके बाद से कई राज्यों की पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है और पाकिस्तानी नागरिकों को सीमा पार भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी है.
भारत सरकार का सख्त आदेश और समयसीमा
भारत सरकार ने 27 अप्रैल तक पाकिस्तान के 13 वीजा श्रेणियों के धारकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया था. हालांकि, मेडिकल वीजा धारकों को 29 अप्रैल तक का अतिरिक्त समय दिया गया है ताकि वे अपना इलाज पूरा कर सकें. इस आदेश के बाद ये सवाल उठता है कि अगर किसी ने तय समयसीमा के भीतर भारत नहीं छोड़ा तो क्या होगा और उनका पहचान कैसे की जाएगी?
मेडिकल वीजा धारकों के लिए नई चुनौतियां
भारत में इलाज के लिए पाकिस्तान से बड़ी संख्या में लोग आते हैं, जिन्हें मेडिकल वीजा जारी किया जाता है. इन वीजा धारकों को इलाज के साथ दो अटेंडेंट्स को भी भारत आने की अनुमति दी जाती है. हालांकि, भारत सरकार द्वारा किए गए अचानक फैसले ने इन मरीजों के लिए नई समस्याएं खड़ी कर दी हैं, जिनका इलाज अभी जारी है. सरकार ने मेडिकल वीजा धारकों से इलाज के दस्तावेज तैयार रखने का निर्देश दिया है, ताकि जांच के दौरान कोई समस्या ना हो.
नियमों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान
भारत सरकार ने साफ किया है कि अगर कोई पाकिस्तानी नागरिक इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसे 'गैर-कानूनी विदेशी' माना जाएगा. ऐसे नागरिकों के खिलाफ इमिग्रेशन एंड फॉरनर्स एक्ट 2025 के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्हें 1 से 5 साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है. इसके साथ ही, उन्हें पाकिस्तान डिपोर्ट भी किया जा सकता है.
भारत सरकार के पास नागरिकों का पूरा डेटा
भारत सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि सभी विदेशी नागरिकों की जानकारी उसके पास होती है, जो वीजा जारी करने से पहले ली जाती है. इसमें उनकी यात्रा का उद्देश्य, ठहरने का स्थान और अन्य जानकारियां शामिल होती हैं. इससे सरकार के पास वीजा धारकों का पूरा डेटा उपलब्ध रहता है, जिससे उनका पता लगाना और कार्रवाई करना आसान होता है.


