कौन थे पहला ’परमवीर चक्र’ पाने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा, माँ-बाप को लिखा गया आख़िरी ख़त कर देगा भावुक

Major Somnath Sharma: मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी, 1923 को हुआ था. वह एक प्रसिद्ध मेजर जनरल अमरनाथ शर्मा के पुत्र थे. वह भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परमवीर चक्र के पाने वाले पहले भारतीय थे.

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

Major Somnath Sharma: मेजर सोमनाथ शर्मा ने सिर्फ 24 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. उनका जन्म 31 जनवरी, 1923 को हुआ था. वह एक प्रसिद्ध मेजर जनरल अमरनाथ शर्मा के पुत्र थे. वह भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परमवीर चक्र के पाने वाले पहले भारतीय बने थे. उन्हें 22 फरवरी, 1942 को 8वीं बटालियन, 19वीं हैदराबाद रेजिमेंट (बाद में चौथी बटालियन, कुमाऊं रेजिमेंट) में नियुक्त किया गया था. वह 1947 के भारत-पाक संघर्ष में अपनी वीरता से शत्रु के छक्के छुड़ा दिये थे. 

माता-पिता के नाम एक खत

दिसम्बर 1941 में सोमनाथ ने अपने माता-पिता को एक पत्र लिखा था, जो सबके लिए एक आदर्श की मिसाल बन गया था. इन्होंने लिखा था कि "मैं अपने सामने आए कर्तव्य का पालन कर रहा हूँ. यहाँ मौत का क्षणिक डर जरूर है, लेकिन जब मैं गीता में भगवान कृष्ण के वचन को याद करता हूँ तो वह डर मिट जाता है. भगवान कृष्ण ने कहा था कि आत्मा अमर है, तो फिर क्या फर्क पड़ता है कि शरीर है या नष्ट हो गया. पिताजी मैं आपको डरा नहीं रहा हूँ, लेकिन मैं अगर मर गया, तो मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि मैं एक बहादुर सिपाही की मौत मरूँगा. मरते समय मुझे प्राण देने का कोई दु:ख नहीं होगा. ईश्वर आप सब पर अपनी कृपा बनाए रखे."

क्या है परमवीर चक्र ?

परमवीर चक्र (PVC) पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था. परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता और त्याग के लिए प्रदान किया जाता है. ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है. भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं. इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है. 

कैसा होता है परमवीर चक्र?

परमवीर चक्र सेना में मिलने वाला सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. यह सम्मान सेना के उन जाबांजों को दिया जाता है, जिन्होंने दुश्मन की उपस्थिति में बहादुरी, वीरता, आत्म-बलिदान के साहसी कार्य किया हो. यह चक्र वॉर टाइम में साहसी प्रदर्शन करने के लिए दिया जाता है.

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30 January 2024, 09:40 PM IST

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