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UP में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली AIMIM तेलंगाना में 9 सीटों पर क्यों सिमट गई ? सियासी मजबूरी या हार का डर

Telangana Election 2023: तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM को 2.71 फीसदी वोट मिले थे और उसने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पार्टी हैदराबाद और उसके आसपास की मुस्लिम बहुल सीटों पर ही चुनाव लड़ती है.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

Telangana Election 2023 News : तेलंगाना समेत पांच राज्यों के चुनाव परिणाम कल आएंगे. लेतंगाना में मुख्य मुकाबला बीआरएस और कांग्रेस के बीच देखा जा रहा है. कई एग्जिट पोल में कांग्रेस और बीआरएस के बीच कड़े मुकाबले की बात सामने आई है. तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के नेताओं ने AIMIM के मुखिया असद्दुद्दीन ओवैसी पर हमला बोला. कांग्रेस ने ओवैसी को बीजेपी की टीम-बी कहा तो बीजेपी ने उनको बीआरएस और कांग्रेस का यार कहा. पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक ने ओवैसी पर खूब हमला किया. इस बीच बड़ा सवाल यह है कि AIMIM 119  विधानसभा सीटों वाले तेलंगाना में सिर्फ 9 सीटों पर ही चुनाव क्यों लड़ रही है. तेलंगाना में 13 फीसदी मुसलमान हैं. ऐसे में पूरे राज्य में ओवैसी की पार्टी चुनाव क्यों नहीं लड़ रही है.

ये बड़ा सवाल अपने पीछे कई सवाल खड़े करता है. जैसे क्या ओवैसी का तेलंगाना में जनाधार कम हो रहा है? या फिर राज्य के मुसलमान ओवैसी की पार्टी को भाव नहीं दे रहे हैं. या फिर वाकई ओवैसी किसी पार्टी का खेल बनाने और बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. इन सवालों के जवाब को हम एक-एक कर समझने का प्रयास करेंगे, लेकिन उससे पहले हम तेलंगाना में ओवैसी फैक्टर के बारे में जानते हैं. 

45 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक

तेलंगाना में मुस्लिम आबादी 45 लाख यानी 13 फीसदी है. तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से 45 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM सिर्फ हैदराबाद सिटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव लड़ती है. बाकी सीटों पर वह BRS का समर्थन करती है. इस बार भी यही स्थिति है. इस बार ओवैसी की पार्टी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 110 सीटों पर जहां AIMIM मैदान में नहीं है, वहां भी अधिकतर मुस्लिम वोट ओवैसी की इशारे पर जा सकते हैं.

2014 में कांग्रेस को पहुंचाया था नुकसान

तेलंगाना में कांग्रेस को 2014 विधानसभा चुनाव में 21 सीट मिली थीं, जबकि 2018 में कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की. 2018 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM को 2.71 फीसदी वोट मिले थे. उसने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कई सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा दिया था. हैदराबाद और उसके आसपास के इलाके ओवैसी के गढ़ माने जाते हैं.

UP में  100 और  तेलंगाना में 9 सीटों पर उतारे उम्मीदवार 
AIMIM के मुखिया असद्दुद्दीन औवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में बिहार की 20 सीटों पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. सभी 20 सीटें मुस्लिम बहुल थीं, जिनमें सीमांचल से 5 सीटों पर उनके उम्मीदवारों को जीत भी मिली. बिहार में मुस्लिम आबादी- 17.70% फीसदी है. वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2021 में ओवैसी की पार्टी ने यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. यहां एआईएमआईएम को 1% से भी कम वोट मिले और एक उम्मीदवार के सिवाय कोई अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है. 

अगर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 की बात करें तो यहां पर ओवैसी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर किया था. बाद में केवल 7 उम्मीदवारों को मैदान में उतरा. पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी 27.01% है, लेकिन पश्चिम बंगाल की जनता ने ओवैसी को नकार दिया और उनका एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता. पश्चिम बंगाल में ओवैसी ने उन सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे, जहां मुस्लिम आबादी 60 से 75 फीसदी तक है. लेकिन एआईएमआईएम के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.

क्या अपने ही घर में कमजोर पड़ गए हैं ओवैसी 
बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में दमखम के साथ चुनाव लड़ने वाले ओवैसी तेलंगाना की सभी सीटों पर चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं. इसके पीछे उनकी सियासी मजबूरी है या उनका डर सता रहा है कि जिन मुस्लिमों के मसीहा बनने का दम भरते हैं कहीं वही लोग उनको तेलंगाना में नकार न दें. चाहे वजह जो भी हो लेकिन ओवैसी ने विपक्ष को घेरने का मौका दे दिया है. 

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02 December 2023, 07:56 PM IST

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