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भारत आते ही देवबंद में क्यों जाएंगे तालिबान मंत्री... क्या है इस दौरे का असली मकसद?

Amir Khan Muttaqi India Visit: तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी जल्द ही भारत की यात्रा पर आ रहे हैं जो दोनों पक्षों के बीच रिश्तों को मजबूत करने का एक रोचक और महत्वपूर्ण कदम है. इस दौरान वे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे. इसके अलावा मुत्ताकी ऐतिहासिक देवबंद मदरसे और दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल का दौरा भी करेंगे. यह यात्रा न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से खास है बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखती है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Amir Khan Muttaqi India Visit:  अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत की छह दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं. यह पहला मौका है जब तालिबान के इतने वरिष्ठ अधिकारी भारत का दौरा कर रहे हैं. इस यात्रा के दौरान मुत्ताकी नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. इसके साथ ही वे उत्तर प्रदेश के देवबंद स्थित मशहूर दाराउल उलूम मदरसे और आगरा के विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का भी दौरा करेंगे. भारत-तालिबान के बीच यह दौरा दोनों देशों के संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है.

मुत्ताकी की यह यात्रा एक ऐसे समय हो रही है जब अफगानिस्तान की नई सरकार को अभी तक वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली है और भारत तालिबान के साथ एक व्यावहारिक और संतुलित रिश्ता स्थापित करना चाहता है. यह यात्रा दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण कदम है.

मुत्ताकी की यात्रा के बारे में

सूत्रों के मुताबिक मुत्ताकी पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 11 अक्टूबर को नई दिल्ली पहुंचेंगे. इस प्रतिनिधिमंडल में उप उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अहमदउल्लाह जाहिद, विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशिया मामलों के महानिदेशक नूर अहमद नूर और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जिया अहमद ताकल शामिल हैं. मुत्ताकी को भारत सरकार की ओर से पूरी सरकारी प्रोटोकॉल मिलेगी. उनकी मुख्य मुलाकात विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ है जो हैदराबाद हाउस में होगी.

पहली मुलाकात में चर्चा के मुख्य विषय

यह मुत्ताकी और जयशंकर के बीच पहली आमने-सामने की बैठक होगी. इससे पहले दोनों नेताओं ने फोन पर बातचीत की थी. इस मीटिंग में दोनों देश सुरक्षा मामलों, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे. साथ ही अफगान छात्रों, व्यापारियों और मरीजों के लिए वीजा नियमों को सरल बनाने पर भी बातचीत हो सकती है. भारत में तालिबान की उपस्थिति और प्रभाव के विषय पर भी चर्चा की संभावना है.

देवबंद मदरसे का दौरा

11 अक्टूबर को मुत्ताकी दाराउल उलूम देवबंद मदरसे का दौरा करेंगे, जो तालिबान के कई नेताओं के लिए सम्मानित शैक्षणिक संस्थान है. देवबंद मदरसे की तर्ज पर पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा में दाराउल उलूम हक्कानिया मदरसा बना था जहां कई तालिबान कमांडर और नेता शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं. इसके संस्थापक मौलाना अब्दुल हक ने भारत के विभाजन से पहले देवबंद में पढ़ाई की थी. हक्कानिया मदरसे को तालिबान कमांडरों के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाने वाला माना जाता है.

आगरा का ताजमहल दौरा और उद्योग जगत से मुलाकात

12 अक्टूबर को मुत्ताकी आगरा जाकर ताजमहल का दर्शन करेंगे. इसके अगले दिन यानी 13 अक्टूबर को वे नई दिल्ली में प्रमुख उद्योग मंडल के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे और व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे. तालिबान भारत सरकार के साथ व्यापार संबंध बढ़ाने पर जोर देती रही है. मुत्ताकी इसी दिन अफगान समुदाय के लोगों से भी मिलेंगे. उनकी यह यात्रा 15 अक्टूबर को काबुल वापसी के साथ समाप्त होगी.

भारत-तालिबान संबंधों में यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण?

तालिबान के विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच हो रही है. पाकिस्तान का आरोप है कि तालिबान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का समर्थन कर रहा है. गत महीने मुत्ताकी की यात्रा बाधित हुई थी क्योंकि उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों से छूट नहीं मिली थी जो बाद में भारत के हस्तक्षेप पर 30 सितंबर को मिली. इस यात्रा का उद्देश्य तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाना और भारत के साथ मजबूत संबंध स्थापित करना है. अफगान विशेषज्ञों के अनुसार तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई भी नकारात्मक बयानबाजी नहीं की है. मुत्ताकी के एजेंडे में मुंबई, हैदराबाद और चाबहार बंदरगाह का दौरा भी शामिल है जहां वे व्यापार एवं निवेश के अवसरों की खोज करेंगे.

 भारत-अफगानिस्तान व्यापार का अहम केंद्र

चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के लिए भारत के साथ व्यापार का प्रमुख मार्ग है. इस बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को 28 अक्टूबर तक छूट मिली है जो क्षेत्रीय जुड़ाव के लिए महत्वपूर्ण है. इस विषय पर भी मुत्ताकी के साथ चर्चा होने की संभावना है.

मॉस्को फॉर्मेट मीटिंग में भारत का समर्थन

तालिबान मंत्री की भारत यात्रा से पहले रूस की राजधानी मॉस्को में मॉस्को फॉर्मेट की मीटिंग हुई थी, जिसमें भारत ने अफगानिस्तान के उस रुख का समर्थन किया था जिसमें बगराम एयरबेस अमेरिका को सौंपने का प्रस्ताव था. यह संकेत है कि भारत अफगानिस्तान के स्थिर और शांतिपूर्ण भविष्य में सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है.

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09 October 2025, 12:14 PM IST

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