क्या डॉग लवर्स को मिलेगी राहत? सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच कल फिर सुनेगी मामला
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नई तीन जजों की बेंच गठित की है. बेंच ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और अन्य प्राधिकरणों को 8 हफ्ते में कुत्तों के लिए शेल्टर बनाने का निर्देश दिया है. शेल्टर में कुत्तों की देखभाल, नसबंदी, और वैक्सीनेशन किया जाएगा, और CCTV निगरानी में शेल्टर से बाहर कुत्तों को छोड़ा नहीं जाएगा.

Supreme Court Stray Dogs Case : दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या से जुड़ी याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से गठित तीन जजों की बेंच को सुनवाई की जिम्मेदारी दी है. बुधवार को अदालत ने इस मुद्दे को एक नई पीठ को सौंपते हुए यह स्पष्ट किया कि जो जज पहले इस विषय में आदेश पारित कर चुके हैं, वे इस नई सुनवाई का हिस्सा नहीं होंगे. नई विशेष पीठ में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया शामिल होंगे.
अब नए सिरे से होगी सुनवाई
चार मामलों की होगी सुनवाई
दरअसल, गुरुवार को विशेष बेंच के सामने कुल 4 मामले पेश किए जाएंगे. इनमें एक स्वतः संज्ञान मामला, 2024 में दायर एक जनहित याचिका, और दो अन्य याचिकाएं शामिल हैं. कुछ याचिकाएं आवारा कुत्तों को पकड़ने की प्रक्रिया पर सवाल उठाती हैं, तो कुछ में इनके लिए सुरक्षित व्यवस्था की मांग की गई है.
कोर्ट ने सरकार और नगर निकायों को दिए निर्देश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, एमसीडी, एनडीएमसी, नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के संबंधित निकायों को कड़े निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अगले 8 हफ्तों में आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर या डॉग पाउंड तैयार किए जाएं और उसकी रिपोर्ट कोर्ट में जमा की जाए.
शेल्टर में हो पूरी व्यवस्था और निगरानी
अदालत ने निर्देश दिया कि हर शेल्टर में आवश्यक स्टाफ होना चाहिए जो कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण, डिवार्मिंग और देखभाल की जिम्मेदारी निभाए. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन कुत्तों को दोबारा सार्वजनिक स्थानों, कॉलोनियों या सड़कों पर छोड़ा न जाए. इसके लिए शेल्टरों में CCTV निगरानी की व्यवस्था अनिवार्य की गई है, ताकि कोई कुत्ता बाहर न निकाला जाए या वापस सड़क पर न छोड़ा जाए.
5000 कुत्तों के लिए हो शेल्टर की व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पहले चरण में कम से कम 5000 कुत्तों के लिए अगले 6 से 8 हफ्तों के भीतर शेल्टर तैयार किए जाएं. कोर्ट ने इस प्रक्रिया को "प्रगतिशील" बताया है और कहा है कि समय के साथ इन शेल्टरों की क्षमता को और बढ़ाया जाए, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके.
यह फैसला न केवल मानव-जनित संघर्ष को नियंत्रित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह पशु अधिकारों और शहरी प्रबंधन दोनों के बीच संतुलन कायम करने की एक कोशिश भी है. कोर्ट की सख्ती यह दर्शाती है कि अब इस मुद्दे को हल्के में नहीं लिया जा सकता.


